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अस्त्रों से देहको पवित्र करता हुवा शरीर छोड़ता है और वह धीरजव न पुरुष मांहको नहीं प्राप्त होता है निश्चय राज्य पाता है । सब प्राणायें की पांच तत्वों से पांच अवस्था याने पृथिवो से जन्म । जल से कौमार अवस्था | आंग से पौष यौवन | वायू से जरा । आकाश से मृत्युओर फेर पृथिवी से जन्म आदि होकर अटल जन्म होता है येही जगत का घूमता हूवा (फिरताहुवा) चक्र है ||
राजविद्या शिक्षय ते स्वस्ति सुख शान्ति स्थितिः संपति वृद्धिः भृतिराय श्च सवर्धनम् ॥
भाषार्थ
राजविद्या सिखलाति है रोग रहित होना सुख शान्ति स्थिति परंपरा सपति वृद्धि राजलक्ष्मी और दीर्घायु होना ||
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