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राजविद्या।
[५]
४-रक्षाका. बलेन दुर्बलं रक्षेत्-बलिनो दुर्ब लस्येह रक्षणं प्रयत्नतः।
भाषार्थ ४ रक्षा क्या है-बल से दुर्बल की रक्षा क. रना-बलवान दुर्बल की रक्षा यत्न से करे।
५-क्षत्रियः क्षतात्-नाशात् । त्रायते-रक्षति इति क्षत्र एव-क्षत्रियः।
भाषार्थ ५ क्षत्रिय से क्या अर्थ है-नाश से रक्षा करने वाला घाव वा कठिन दुःख को सहन करे ।
६-न्याय लक्षण माह. सुकृतस्यकर्तारं सुफलेन हि योजनम् दुष्कृतैस्तुविधातारं दण्डेन दमनं स.
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