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राजविद्या। (१३२ ) अनुसार प्रजावों में स्वस्ति सुख शान्ति स्थिति संपत्ति वृद्धि और दीर्घायुसकी वृद्धि क वस्त राजा राज्य करे वह धर्म राज्य कहा जाता है ३ सिर्फ मर्यादा के अनुसार राजा राज्य करता
है वह मर्यादा राज्य कहा जाता है ४ धनाढय और भूम्याधिपतियों से राज्य
कतिपय जन तंत्र राज्य कहाजाता है ५ मुख्य मुख्य सभ्य योग्य सेना पतियों से
गज्य सेना तंत्र राज्य कहाजाता है ६ राजा स्वयं और पजावों में से सभ्य जन
जगत के अनुभवी निस्वार्थी दूर दी उत्साह से धर्म न्याय में तत्पर और सत्य से प्रीति वालों से गज्य राजा प्रजा एक मत्या राज्य कहाजाता हे ७ सिर्फ राजा की बुद्धि अनुसार राज्य राज
तंत्र राज्य कहाजाता है ८ राजा के भृत्य कृपा पात्र जनों से राज्य
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