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राजविद्या । ९ विद्वजनैः प्रजाशासनम् । श्रेष्टजन
तंत्र राज्यं प्रोच्यते॥ १० दीन धनाढ्य वर्ग: सेनापात रुच्च
कल वैगः सर्वेषां जातिनां पञ्चानां बैंगः तेषां सर्वेषां समस्तानां सम्म त्यानुसार शासनम् । प्रजा तंत्र राज्यं प्रोच्यते॥
बल बुद्धि से प्रजावों को सत्य मार्ग में चेलान के लिये दश प्रकार से राज्य शासन हैं १ समस्त प्रजाको सम्मति के अनुसार मर्यादा जिन के मुजिब. राज्य-व्यवस्था तंत्र राज्य
कहाजाता है २ प्रजामेसे सभ्य जन बुढे जगत के अनुभवी
स्वार्थी नहीं दूरदशी धर्म न्याय और सत्य में जिन की प्रीति हो जगत हित के लिये पारमार्थिहो बुद्धिमान जगत के व्यवहार को जावनें वाले हो इन सबकी सम्मति के
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