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राजविद्या। अनियंत्रित गज्य कहा जाता है ९ विद्वानो से राज्य श्रेष्ट जन तंत्र राज्य कहा ताहै गरीव धनाढ्य वर्ग सेना पति उचकुल वर्ग सब जातियों के पंचों का वर्ग इन सब की समस्तों की सम्मतियों के अनुसार राज्य प्रजा तंत्र राज्य कहाता है ।।
सत्वं रजस्तमचैव त्रिभिर्गुणैः त्रिगु णात्मिक मायया शुद्धो चेश्वरभावा तै श्च तेजः शक्तिः पुरुषार्थः तेः सुखशान्ति. स्थितिश्च तेषां प्रबन्ध! ॥
सम्राट रूपमण्डपः तस्य स्तंभा माण्डालिका महाराजा राजानः साम न्ता ग्रामाधिपतयः भूम्याधिपतयः एतेषां मेक्यता मण्डपस्थितिः ॥ सम्राट रूपवितान तस्य रजव कीला माण्डलि का महराजा सामन्ता राजानः ग्रामा
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