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राजविद्या |
( ४१ )
कार में करले । शत्रु का पक्ष विपक्ष बल अचल देशकाल को भी जानना अवश्य है चार लोगोंके उत्साह से । निचे कहे हुवें नक्शे से युद्ध आरम्भ करे जिसके प्रभाव से जगद्धिता धार्मिका सहस्र मेनिका योधा दश हजार दुराचारोंको जीत सकते हैं। जगत की हाय दुराशियों से विधर्मी दुराचारों की मति भी नाश हो जाती है और दुर्मति अन्याय से इस भाव सारतत्वको नहीं जान सकते। शत्रुक की सर्वे सहायता अन्न जल अद्दार सामग्रय को रोक देना चाहिये । शत्रुवों पर सब दिशावों से याने चौतरफ से आक्रमण करें। सब धार्मिका योधा दिव्य अस्त्र शस्त्रों से अच्छी तरह सजे हवे जगद्धितार्थ युद्धको करते है वो विजय पाते हैं । सब युद्ध के भेद छापे हुवे रखने चाहिये यदि देव योग से अकस्मात कार्यों से जगद्विता धार्मिका भी शत्रुवों से आक्रमण किये जाय और घिरजाय गढ वा अन्य स्थान में तो सब बलों से शत्रुव को मारते हुवे वा किसी तरह के उपावसे स्वतन्त्र
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