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राजविद्या। और धीरज सुमतिः (अच्छी वुद्धि) श्रद्धा और सत्य और सार को जानता हुवा वा जान करके द्वेष न रखना शुद्ध भावना और शुद्ध धारणा अधिक है।
१३-राजविद्या. विद्यानांराजा सैव विद्या सर्वोपरी प्रोच्यते। ___ १३ राजविद्या-विद्यावों की राजा वही विद्या सर्वोपरी (सब के ऊपर ) कही गई है।
१४-प्रबन्धः जगत्सु सुख शान्तिः स्थिति रु. पायं प्रयत्नं प्रबन्धः प्रोच्यते ।
भाषार्थ १४ प्रबन्धः-सृष्टि में सुख शान्ति और स्थिरता के उपाय वा यत्न प्रबन्ध (इंतजाम) कहे जाते है।
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