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राजविद्या।
भाषार्थ २ स्वार्थिक् बुद्धिः-ये स्वार्थिक अल्प (छोटी थोडी) क्षुद्र (नीच) बुद्धि से जलदी थोड़ा सुख और थोड़ा लाभ के लिये दुसरों का नुकसान करने में स्थिति होती है वह नीच दुवधा सहित स्वाार्थक बुद्धि है।
३-पारमार्थिक बुद्धिः
ययौच्च वुद्धचाया धर्मेण सह महत्प्रयोजनस्यावाप्यते प्रयतेत इयमेव धन सुखयोः स्थितिः सैव पारमार्थिकि बुद्धिः ।
भाषार्थ ३ पारमार्थिक् बुद्धिः-जिस उच्च बुद्धि से धर्म के साथ बड़े बड़े कार्यों को प्राप्त करने का यत्न करना यही धन और सुख दोनू की है वही पार• मार्थिक बुद्धि है।
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