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राजविधा। [५] न्यूने नष्टेच मनुष्याणमासुरीमति भूत्वा दुःखात्याचारक्षयाश्च वोभूयन्ते। तंदुःसमयं कलयुगामिति कथयन्ते ॥
भाषार्थ इस योग के कम और नष्ट होने से मनुष्यों की आसुरी मति होकर दुःख अत्याचार और क्षय होता रहता है और एले खराब खोटे समय को कल युग कहते है ।
एतद्योगस्याधिकांश प्रवर्तनेन जगत्सु सुख शान्तिः स्थितिश्च प्रवर्तते तं सुसमयं सत्ययुगमिति प्रभाषयन्ते ॥
भाषार्थ इस योग का अधिक अंश प्रवत होने से जगत मे सुख शान्ति स्थिति की प्रवर्ति होती है और उस अच्छे सुभ समय को सत्ययुग कहतेहै ।
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