________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२०)
राजबिद्या।
हे और स्वार्थिक मर्यादा आधार है । राजा प्रजावों में सबों की स्वस्ति सुखशान्ति स्थिति
और इन के प्रबन्ध जलदी नाश करने वाले होकर राज्य को नाश कर देती है राजा प्रजावों में दुःख कलेश होते रहते है और राज्य भी दूसरे अन्य कुल मे चला जाता है ।
स्वार्थ समये समय हानि वाक्षति रूप जायते स महद्भयम् परतू नकदा. पि पारमार्थे स सदा उच्चपदंप्राप्यते भय हानि शोक संकल्पेषु रहितश्च ॥
भाषार्थ स्वार्थ में समे समे हानि वा क्षति होती रहती है वह भयकारी है परंतु पारमार्थ सदा उच्च पद प्राप्त करता है और भय और हानि के शोक मुकल्पों से रहित है ॥
For Private And Personal Use Only