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रोजविद्या।
संज्ञा-राज्यम-धर्म से रक्षा न्याय राज्य है। रक्षा न्याय का प्रयोजन सृष्टियों में निरोग्यता सुख शान्तिः स्थिति संपति वृद्धिः और आयुस का बदना है संख्या ७॥ संज्ञा-योग-बारे बलों से रक्षा और सत्संगतीयों से न्याय और इन से प्रजा आपस मे सुख चेन से रहे। संज्ञा योग है संख्या ८ है ।। संख्या ९ बल से रक्षा-सबकी आत्मा का आत्मा हूं सबकी आशीष अहाय में देखताहूं एसा जान कर रक्षा करता है वह राज्य पाता है संख्या १०-जहाँ धर्म से रक्षा न्याय नहीं है राज्य अष्ट होजाता है | संख्या ११-बलहीन होकर घटता है और रक्षा हीन दास भाव को प्राप्त होता है ।। संज्ञा-मुमति राजविद्याशिक्षा मापा वा प्रकृति बुद्धि बुद्धि से प्रयोजन न्याय है संख्या १२ ॥ संकेत राजा जीव है बाणाकार है प्रजा शरीर है धनुषाकार है विनजीव शरीर की स्थिति नहीं है
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