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राजविद्या। (२७) वहां बल बुद्धि है वहां रक्षान्याय है और इन दोनु से ( रक्षान्याय से ) राज्य सुस्थिर है अचल है ध्रुव है (नडिगने लायक ) और अच्छा मजबूत है सूर्य चन्द्र के मण्डल स्थिति तक । संकेत सूर्य चन्द्र | संख्या तीन । संकेत त्रिशूल प्रकाश करता है शुद्ध उच्च और ईश्वर भाव ( माल कीभाव ) से सृष्टियों में स्व. स्ति ( अरोग्यता ) सुख शान्ति स्थिति संपत्ति वृद्धिः विभूतिः और आयुस का बदना संख्या५ संज्ञा स्थिति ॥ संज्ञा राज्याभिशप-राज्याभिशेष से गविद्योपदेश है । राजकृया। राज्यासिंहासन को प्राप्त करना है संकेत राजसिंहासन है । संज्ञा राज्याभिशेष है संख्या ४ संकेत पतित त्रिशूल प्रकाश करता है अशुद्ध नीच दास भाव से रोग दुःख विघ्न क्रोध कड़वापन दुर्घटनं पतनं विनाश और थोड़ी उमर (आयुश ) संख्या ६ ॥
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