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रोजद्या।
[१६] शक्ति क्षात्र जातियों में रमति है ॥
राजाप्रजानामेक्यताविना सर्वेसुभ चिन्हा पृथपृथग्भूत्वा शनैःशनैः विनश्यन्ते तेभ्यश्च राजा सर्वोपरि राजविद्या ज्ञानेन वा बुध्ययाऽपतेजो भिर्बन्धनकुर्यात् वा स्वकरणम् तेन नैश्चल्यं लभते भुपाराज्यं हि सुस्थिरता तथा॥
भाषार्थ
राजा प्रजा की एक्यता विना सब सुभ चिन्ह जुदे जुदे होकर शनैः शनैः नाशको प्राप्त होतेहे इस लिये राजा सर्वोपरि राजविद्या के ज्ञान से वा बुद्धि से जल सरूप तेजसे बांध वा अपणा करले जिस से राज निश्चलता को प्राप्त होताहै और राज्य स्थिर रहता है।
बल बुद्धिभ्यां रक्षान्यायः ताभ्यां
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