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राजविद्या।
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श्रीभगवानुवाच-सगै प्रारम्भे शिव शक्त्यः संवादे राजविद्यानाम योगं प्रकाशयामास । सृष्टिषु स्वस्ति सुख शान्तिः स्थितिश्च तषां मर्यादा प्रबन्धा. नां स्थित्यर्थम् । तथैव प्रजानां शरीर प्राण स्वातंत्र्यं द्रव्यं च रक्षार्थम् जड़ चतन्य स्थावर जंगम धनानां च ॥
भाषार्थ श्री भगवान बोले कि सृष्टि के आरम्भ में शिवशक्तिके संवाद में राजविद्यानाम योग प्रकाश हुवा । सृष्टि की आरोग्यता सुख शान्ति स्थिति ओर इनकी मयादा प्रबन्धों की स्थिरताके लिय और इसी तरह प्रजाके शरीर प्राण स्वातंत्र्य और द्रवकी और जड़ चेतन स्थावर जंगम धनों की रक्षा के लिये ॥ एतद्योगस्य मर्यादा प्रबन्धा समयानुसार वा प्रजानां प्रकृत्यानुकूल परिवर्तनम्
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