Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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प्रावळी
माउंबर आह्वळा-(क्रि०वि०) आठों दिशाओं में। आडबंध-(न०) १. साधुनों की लंगोटी सब तरफ।
कसने की कमर में बाँधी जाने वाली आठ-दे० आठम।
मोटी रस्सी। कटिबंध । मेखला । आठो-(न0) पाठ का अंक । '८'। २. साधुओं का लंगोट । ३. बालदिये
२. विक्रम संवत् का आठवाँ वर्ष । भाट, बनजारों और भीलों आदि के साफे प्राड-(ना०) १. शैव धर्मावलंबियों का पर बाँधी जाने वाली एक सफेद या लाल
तिलक । त्रिपुण्ड्र । २. स्त्रियों का एक रंग के कपड़े की पट्टी। शिरोभूषण । ३. स्त्रियों के गले में पहनने आड वनोळो-दे० प्राड वंदोळो । का एक आभूषण । ४. कपास प्रोडने का प्राडवळो-दे० पाडावळा । स्थान । ५. एक जल-पक्षी। ६. प्रोट। प्राड वंदोळो-(न०) पाणिग्रहण के पूर्व परदा । ७. रोक । अवरोध । ८. फलसे कन्या को घोड़ी पर बिठाकर वर के घर को बंद करने की एक लंबी और मोटी पर वंदोला लेने को ले जाने की शोभा लकड़ी । ६. पानी से भरा हुया खड्डा। यात्रा। प्राड-टेढ-(ना०) थोड़ी देर के लिये लेट ग्राड वाहर-(ना०) वह वाहर या पीछा कर किया जाने वाला आराम ।
जो दाहिने-बाएँ से आड़ा पाकर किया पाडण--दे० पाडणी । (न०) २. जामा ।।
जाता है । लुटेरे या आक्रमणकारियों का ३. दूल्हे का जामा।
बाएँ-दाएँ किया जाने वाला पीछा । पाडणी-(ना.) १. ढाल । २. परदा।।
तिरछी वाहर । प्राडगो-(क्रि०) १. माँडना । रचना। ग्राड वाहरू-(वि०) पाडी वाहर करने
बनाना। २. किसी वस्तु का पूर्व रूप वाला। (नमूना) तैयार करना । ३. निर्माण की पाड़ग-१. (न०) वर्षा के आगमन की जाने वाली वस्तु के यथारूप बन जाने मूचना देने वाली गरमी । उमस । २.ताप । की जांच करने के लिये उसके सभी भागों गरमी। को जोड़ कर देखना। वस्तु का कच्चा पाड़ गिया-(न० ब० व०) वर्षा ऋतु की रूप तैयार करना। ४. जुए में किसी उमस में अम्हौरियों में उठने वाली वस्तु को बाजी (शत) पर लगाना।
चुभन । पाडत-(ना०) १. कमीशन लेकर माल ग्राड गिया खाणो-(मुहा०) उमस के को खरीद-फरोख्त करने या कराने का
कारण अम्हौरियों में चुभन उठना । धंधा। आढ़त । दलाली । २. खरीद
- पाड़ गियो-(न०) अग्निकण । चिनगारी। फरोख्त कराने का पारिश्रमिक ।
चिरणग। आड़तियो-(न०) १. कमीशन लेकर खरीद- ME
" आडंबर-(न०) १. उत्सव । धूमधाम । फरोख्त करने या कराने का व्यवसाय
२. ढोंग । पाखंड । डूंग। दिखावा । करने वाला व्यक्ति । २. चोरी का माल खरीदने वाला व्यक्ति । (चोरों की भाषा
३. तड़क-भड़क । ठाट-बाट । ४. महंत, में) ३. मित्र ।
गुरु, तथा राजा के ऊपर रखा जाने आड-पलाण-(न०) ऊंट पर कसे पलान
वाला छत्र । बड़ा छाता । ५. आच्छादन । पर दोनों पांव एक मोर रखकर की जाने छाजन । ६. तंबू । ७. गंभीर शब्द । वाली सवारी।
८. हाथी की चिंघाड़ । ६. तुरही का
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