Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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(४१६)
जको छोडो-(न०) १. वृक्ष की छाल । २. छाल अधिकता। २. मौज-मजा। ३. हंसी
का टुकड़ा । ३. लकड़ी का छोटा टुकड़ा। मजाक । ४. प्रसन्न । खुश। कुल्हाड़ी या बँसोले से उतारा हुआ (काटा छौळीलो-(वि०) १. मौजी । लहरी । २.
हुपा) लकड़ी का चपटा टुकड़ा। हँसोड़ । मसखरा। छौळ-दे० छोळ ।
छयासट-दे० छासट । छौळ-बौळ-(वि०) अत्यधिक । (ना.) १. छयासी-दे० छियासी।
ज-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला जकड़णो-(क्रि०) १. मजबूती से पकड़ना।
के चवर्ग का तीसरा वर्ण । इसका उच्चा- २. मजबूती से बाँधना । कस कर रण स्थान तालु है।
बाँधना । ज-(अव्य०) १. जोर, प्रभाव, और जकड़ी-(ना०) १. गीत, भजन, लावनी या निश्चय सूचक एक शब्द । ही। २. ख्याल आदि के अंतरा के बीच में बदलने काव्य तथा गीतों में एक पाद पूरक वाली राग या लय । २ लावनी। ३. एक अक्षर । (प्रत्य०) किसी शब्द के अंत में छंद । ४. संगीत का एक ताल । संयुक्त होने पर उत्पत्ति अर्थ का वाचक जकड़ीजगो-(क्रि०)१. बंधन में आना। नर जाति प्रत्यय । जैसे---जल +ज - फँस जाना । २ बँध जाना बातचीत में)। जलज । (सर्व०) १. जिस । २. उस । ३. ठंड, चोट आदि लगने से शरीर का जइ-(क्रि०वि०) १. यदा । जब । २. यहाँ । अकड़ जाना। (अव्य०) यदि । जो। अगर ।
जकरण-(सर्व०) जिस । जिकरण । जिके । जइयाँ-(सर्व०) १. जिसको। (क्रि०वि०) जकरणो-(क्रि०) १. नींद में बात करना । जहाँ।
__ व्यर्थ बकना । ३. चौंकना । भौछक्का जई-(क्रि०वि०)जब । (ना०) १. जौ। यव। होना । ४. चैन पड़ना । आराम मिलना।
२. छः राई का तौल । ३. लंबे डंडे में जका-(सर्व०)१. स्त्री वाचक एक सर्वनाम । लगी लकड़ी की दो नोकों वाली कँटीली जो । २. सो। ३. वह । ४. उस । झाड़ी या घास आदि उठाने का कृषकों जकात-(ना०) १. चुंगी। आयात कर । का एक उपकरण । बेई । (वि०) जीतने महसूल । २. खैरात । वाला। जयी।
जकात-माफी-(ना०) कर मुक्ति । महसूल जईमैण-(न०) मयरणजई । मदनजई । माफी। महादेव ।
जकार-(न०) 'ज' वर्ण । जक-(ना०)१. चैन । शांति । २. पाराम । जकार-(सर्व०)जिनके । जिकार । जिपार । विश्राम ।
जकाँरो-(सर्व०) जिनका । जिकारो । जकड़-(ना०) १. बंधन । २. पकड़ । ३. जिरणारो। (ना०) जकारी ।
कस कर पकड़ने या बाँधने का भाव । जकी-दे० जका। .
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