Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( ५५६)
तीसमारखो तीन-(वि०) दो और एक । (न०) तीन की उपवास प्रादि । संख्या । '३'
तीरबारा-दे० तीरबारी । तीन-पाँच-(ना०) १. शेखी । २. मिजाज। तीरबारी-(ना०ब०व०) १. दुर्ग के परकोटे तीन-बीसी-(वि०) साठ। उनसठ प्रौर और बुर्ज में बनी वह छिद्र पॅक्ति जिनमें एक । पचास और दस ।
होकर दुर्ग को घेरे हुए शत्रु दल पर तीर तीब-(ना०) १. एक गहना । २. चूड़ियों अथवा बंदूक की गोलियां चलाई जाती
की पत्तियों की जोड़ का एक गहना । ३. हैं। तीरकस । २. तीरों का चलना । फटे हुये वस्त्र के दिये जाने वाला टाँका।। तीर चलने की क्रिया। ४. सिलाई । ५. जोड़ । ६. टाँका।
तीरवा-(ना०)बाण छोड़ने पर वह जितना तीबगो-(क्रि०) वस्त्र में टाँका लगाना ।।
दूर जा सके उतना अन्तर । तीर वाह । तीब्र-(वि०) १. बहुत तेज । तीव्र । २. तीरवाह-दे० तीरवा।
तीक्ष्ण । ३. असह्य । ४. उग्र । ५. जोर- तीरंदाज-(वि०) १. तीर छोड़ने में कुशल । दार।
२. निशाना बाज। तीब्रबद्धि-(वि०) मेधावी । तेज बुद्धिवाला। तीरंबाज-दे० तीरंदाज । तीमो-(ना) १. स्त्री । औरत । तीवई। वीरे-क्रिवि) १. किनारे। २. पास । २. पत्नी । लुगाई।
निकट । ३. बाद । पीछे । तीयो-दे० तियो।
तीर्थ-दे० तीरथ । तीर-(न0) १. नदी, तालाब आदि का तीर्थस्थान-(10) तीर्थयात्रा करने योग्य किनारा। २. बारण । शर।
पवित्र धार्मिक स्थान । यात्राधाम । तीरकस-(न०) १. मकान या परकोटे की
तीर्थरूप-(वि०) १. पूज्य । २. पवित्र । दीवाल में बने वे छेद जिनमें से तीर या
(अव्य०) पिता आदि गुरुजनों के लिये बंदूक की गोली चलाई जाती है । २.
(पत्रादि में) प्रयुक्त किया जाने वाला बारणों का भाथा ।
अादर सूचक शब्द । तीरकारी-'ना०) १. तीरों का युद्ध । बारण
तील-(ना०) १. अंगिया । कंचुकी। २. एक युद्ध ।। २. तीर चलाने की क्रिया ।
गहना। तोरगर-(न०) बाण बनाने वाला।
तोवट-(न0) वाद्य और संगीत का एक तीरथ-(न०) १. तीर्थ । पुण्य स्थान । २.
ताल । त्रिवट । त्रिताल । किसी पवित्र नदी (गंगा यमुना आदि) के किनारे बना धर्म-स्थान । ३. दसनामी तीवरण-(न०) १. दाल, कढ़ी प्रादि साग । संन्यासियों का एक नामाभिभेद । ४.
रसेदार तरकारी। २. व्यंजन । नमकीन संन्यासियों की एक उपाधि ।
भोज्य पदार्थ । तीरथ-बड़कूलिया-दे० तीरथ-व्रत ।
तीस-(वि०) बीस और दस । (न0) तीस तीरथराज-(न०) प्रयाग । तीर्थराज।
की संख्या । '३०' तीरथ-वरतोलिया-दे० तीरथ-व्रत ।
तीसमार-दे० तीसमारखाँ । तीरथ-व्रत-(न०) १. तीर्थ और व्रत । २. तीसमारको-तीसमारखाँ ।
तीर्थ यात्रा के धार्मिक नियम-व्रत । ३. तीसमारखाँ-(वि०)१. अपने आपको बहादुर तीर्थ यात्रा के समय किये जाने वाले व्रत- समझने वाला। २. शेखी मारने वाला।
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