Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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। ६२१ )
दूरंदेश दूती-(ना०) १. झगड़ा कराने वाली स्त्री। दूधेली-(ना०) दूधी नामक वनस्पति (घास)
२. कुलटा । ३. स्त्री संदेशवाहक । का छत्ता। दूतिका । ४. कुटनी । कुटणी।
दून-दे० दूरण । दूथी-(न०) चारण।
दूनो-(न०) पत्तों का बना कटोरी जैसा
" पात्र । दोना। दूध-(न०) १. दुग्ध । दूध । २. आक, बड़
दूफर-दे० दूफरी। आदि वनस्पतियों में से निकलने वाला
दूफरणो-दे०दुफरावणो। सफेद रस । वनस्पति का दूध के रंग का
दूफराणो-दे० दुफरावणो । निर्यास । दूध । ३. चारों वर्गों में विभाजित कोई जाति । जाति । जात।
दुफरावणो-दे० दुफरावणो ।
दूफरी-(ना०) मृतक के पीछे रोने पीटने की दूध-पूत-(न०) १. पुत्र-पौत्रादि की वंश
_क्रिया । रुदन । विलाप । वेलि। २. गाय-भैंस, धन-धान्य और
दूब-(ना०) दूर्वा । द्रोब । पुत्र-परिवार । जनधन । ।
दूबळाई-(ना०) दुर्बलता । कमजोरी । दूधार-दे० दुझार ।
दूबळी-(वि०) दुर्बल (ना.) । दूधारी-(वि०) दूध देने वाली। दूझरणी ।
दूबळो-(वि०) १. दुर्बल । २. निधन । दे० दूधाहारी।
दू-बैर-(ना०) विधवा स्त्री । दू-लुगाई । दूधारू-(न०)गाय भैस आदि दूध देने वाला "चौपाया । (वि०)अधिक दूध देने वाली।
दूभर-(वि०) दुःसाध्य । कठिन । दोहरो।
दूमरणो-(वि०) १. नाराज । २. चिंतित । दूधाळ -दे० दूधारू ।
३. संतप्त । ४. दुर्मनस्क । ५. दुखी । दुधाळो-(वि०) १. दूध वाला। २. दूध खिन्न ।
बेचने वाला। ३. दूध मिलाकर तैयार दुमो-दे० दुबो। किया हुआ।
दूर-(क्रि०वि०) १. अलग । दूर । आघो। दूधाहारी-(न०) केवल दूध का आहार
२. अंतर । फासळो । ३. रद करना । करने वाला व्यक्ति।
४. निकाल देना । दूरी करण । (अव्य०) दूधिया-(न०ब०व०) लकड़ी के कोयले ।।
दूरी पर । अंतर पर । (विपरीत नाम)।
दूरणो-(न०) गाय भैंस आदि दूध देने दुधिया नशा-१. दे० दूधियाभांग । २ हलका " वाले पशु। __नशा । हळको नसो।
दूरदरसी-दे० दूरदर्शी। दुधियाभांग-(ना०) दूध में प्रौटा कर दूरदर्शी-(वि०) १. दूर दृष्टि वाला। २. बनाया हुआ भाँग का पेय ।
दूर की सोचने वाला। दूधियो-(वि०) १. दूध जैसे वर्ण वाला। दूरदृष्टि-(ना०) दूर तक जानेवाली नजर ।
सफेद । २. दूध से मिला या दूध से बना। दूरबीरग-(ना०) दूरदर्शक यंत्र । दूरबीन । (न०)१.लकड़ी का कोयला । २.कोयला। दूरंतर-(क्रि०वि०) १. दूर से । २. दूर ही दूधी-(ना०) १. छोटी पत्तियों वाले घास से । ३. दूर पर । आघो।
का एक छत्ता जिसमें से दूध के समान दूरंतरि-दे० दूरंतर ।। सफेद रस निकलता है। २. लोकी। दूरंदेश-(वि०) १. दूर की सोचने वाला। दूधी।
२. भावी का विचार करने वाला। दूधेन्हावो, पुत्रेफळो(अव्य०)एक आशीर्वाद। दूरंदेश ।
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