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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ६२१ ) दूरंदेश दूती-(ना०) १. झगड़ा कराने वाली स्त्री। दूधेली-(ना०) दूधी नामक वनस्पति (घास) २. कुलटा । ३. स्त्री संदेशवाहक । का छत्ता। दूतिका । ४. कुटनी । कुटणी। दून-दे० दूरण । दूथी-(न०) चारण। दूनो-(न०) पत्तों का बना कटोरी जैसा " पात्र । दोना। दूध-(न०) १. दुग्ध । दूध । २. आक, बड़ दूफर-दे० दूफरी। आदि वनस्पतियों में से निकलने वाला दूफरणो-दे०दुफरावणो। सफेद रस । वनस्पति का दूध के रंग का दूफराणो-दे० दुफरावणो । निर्यास । दूध । ३. चारों वर्गों में विभाजित कोई जाति । जाति । जात। दुफरावणो-दे० दुफरावणो । दूफरी-(ना०) मृतक के पीछे रोने पीटने की दूध-पूत-(न०) १. पुत्र-पौत्रादि की वंश _क्रिया । रुदन । विलाप । वेलि। २. गाय-भैंस, धन-धान्य और दूब-(ना०) दूर्वा । द्रोब । पुत्र-परिवार । जनधन । । दूबळाई-(ना०) दुर्बलता । कमजोरी । दूधार-दे० दुझार । दूबळी-(वि०) दुर्बल (ना.) । दूधारी-(वि०) दूध देने वाली। दूझरणी । दूबळो-(वि०) १. दुर्बल । २. निधन । दे० दूधाहारी। दू-बैर-(ना०) विधवा स्त्री । दू-लुगाई । दूधारू-(न०)गाय भैस आदि दूध देने वाला "चौपाया । (वि०)अधिक दूध देने वाली। दूभर-(वि०) दुःसाध्य । कठिन । दोहरो। दूमरणो-(वि०) १. नाराज । २. चिंतित । दूधाळ -दे० दूधारू । ३. संतप्त । ४. दुर्मनस्क । ५. दुखी । दुधाळो-(वि०) १. दूध वाला। २. दूध खिन्न । बेचने वाला। ३. दूध मिलाकर तैयार दुमो-दे० दुबो। किया हुआ। दूर-(क्रि०वि०) १. अलग । दूर । आघो। दूधाहारी-(न०) केवल दूध का आहार २. अंतर । फासळो । ३. रद करना । करने वाला व्यक्ति। ४. निकाल देना । दूरी करण । (अव्य०) दूधिया-(न०ब०व०) लकड़ी के कोयले ।। दूरी पर । अंतर पर । (विपरीत नाम)। दूरणो-(न०) गाय भैंस आदि दूध देने दुधिया नशा-१. दे० दूधियाभांग । २ हलका " वाले पशु। __नशा । हळको नसो। दूरदरसी-दे० दूरदर्शी। दुधियाभांग-(ना०) दूध में प्रौटा कर दूरदर्शी-(वि०) १. दूर दृष्टि वाला। २. बनाया हुआ भाँग का पेय । दूर की सोचने वाला। दूधियो-(वि०) १. दूध जैसे वर्ण वाला। दूरदृष्टि-(ना०) दूर तक जानेवाली नजर । सफेद । २. दूध से मिला या दूध से बना। दूरबीरग-(ना०) दूरदर्शक यंत्र । दूरबीन । (न०)१.लकड़ी का कोयला । २.कोयला। दूरंतर-(क्रि०वि०) १. दूर से । २. दूर ही दूधी-(ना०) १. छोटी पत्तियों वाले घास से । ३. दूर पर । आघो। का एक छत्ता जिसमें से दूध के समान दूरंतरि-दे० दूरंतर ।। सफेद रस निकलता है। २. लोकी। दूरंदेश-(वि०) १. दूर की सोचने वाला। दूधी। २. भावी का विचार करने वाला। दूधेन्हावो, पुत्रेफळो(अव्य०)एक आशीर्वाद। दूरंदेश । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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