Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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निहाणी (६६४)
नीचाई निहारणी-(ना०) १. बढ़ई का एक औजार। निंबार्काचार्य-(न०) द्वैताद्वैत सिद्धान्त के रुखानी । निहानी । २. नाखून । काटने प्रवर्तक व निम्बार्क संप्रदाय के आदि
का औजार । निहानी । नखहरणी। प्राचार्य । निहार-(न०) १. परिणाम । नतीजा। निंबोळी-दे० नींबोळी। निकाल । २. दृष्टि । ३. निकलने का नी-(प्रव्य०) १. निश्चय । जैसे हूँ प्रायो मार्ग या द्वार । ४. मलमूत्रादि की उत्सर्ग । हो नी ?' २. अनुरोध जैसे 'लावनी', क्रिया।
'देवनी', कर नी,। ३. नहीं। (न०) निहारणो-(क्रि०) १. देखना। २. गैर । निषाद स्वर का नाम (संगीत)। (प्रत्य०) से देखना । ३. विचार करना।
षष्ठी विभक्ति का एक नारी जाति निहाळणो-दे० निहारणो १, २, ३। चिन्ह । 'की' । (व्या०)।
४. कृपा पूर्वक देखना। देखने की कृपा नीक-(ना०) नाली । मोरी। नाळी। (वि०) करना।
अच्छा । निहाव-(न०) १. तोप छूटने का शब्द। नीकड़े-(क्रि०वि०) १. सम्मुख । आगे।
२. नगाड़े या ढोल के बजने का शब्द । २. निकट । ३. निहाई पर पड़ने वाले धन या हथोड़े नीको-वि०) अच्छा । के घाव का शब्द । ४. अहरण । निहाई। नीगम-दे० निगम । ५. तोप । ६. घाव । चोट । प्रहार ।। नीगमणो-दे० निगमरणो। ७. आकाश ।
नीगरड़ो-(वि०) प्रदीक्षित । निगुरा । निंगळणो-दे० नींगळणो।
निघरियो-(वि०) गृहविहीन । निंदक-(वि०) निंदा करने वाला। नीच-(वि०) १. अधम । निकृष्ट । २. निंदणो-(क्रि०) निंदा करना। वगोवरणो। खल । दुष्ट । खोटा । ३. निम्न श्रेणी निंदरा-(ना०) १. निंदा । बुगई। २.
का। निद्रा। नींद।
- नीच-ऊँच-(वि०) १. अच्छा-बुरा । २.उन्नतनिंदरोही-(ना०) निर्जन जंगल । रोही।
___ अवनत । ३. खोटा-खरा । ४. सुख-दुख । निंदवणो-(क्रि०) निंदा करना । वगो
नीचकुळी-(वि०) नीच कुल में उत्पन्न । वरखो । निंदणो।
नीचता-(ना०) क्षुद्रता । नीचपना । निंदा-(ना०) १. दोष वर्णन । २. किसी नीचधुरिणयो-(वि०) १. धिक्कारने से
में ऐसा दोष बताना जो वास्तव में न लज्जा के मारे नीचे देखने वाला। २. हो । ३. किसी की कल्पित या वास्तविक नीचे देखते हुए चलने वाला । ३. नीची बुराई या दोष का वर्णन। ४. बदनामी। दृष्टि रखकर बात करने वाला । अपकीर्ति । वगोवरणी।
गरदन को नीची झुका कर (सामने नहीं निंदास्तुती-(ना०) १. निंदा के रूप में देखकर) बात करने वाला। ४. बेशर्म ।
की जाने वाली स्तुति । ब्याजस्तुति । निर्लज्ज । निलजो । ५. निकृष्ट । २. बारहठ ईसरदास का इस प्रकार की अधम । नीचा-जोयो । गई ईश्वर-स्तुति का एक ग्रंथ । 'गुण नीचाई-(ना०) नीचा या ढलुवा होने का निंदा-स्तुति ।' ३. निंदा और स्तुति । भाव । ढलुवापन ।
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