Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan

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Page 718
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेमत (७०१ ) नेमत-दे० निमामत । जंगल में बनाया हुअा अस्थाई निवास । नेमधरम-(न०) १. पूजा-पाठ प्रादि धार्मिक ढाणी । ६. ऊँट के आयु सूचक कृत्य । २. वे कृत्य जो धर्म से संबंध खास खास दाँत । ७. तालाब भर जाने रखते हैं। पर पानी के निकाल के लिये बनाया नेमियो-(वि०)१. नियम से पूजा पाठ करने हुआ मार्ग । नेसटो। ८.असुर । राक्षस । वाला। २.नियम का पालन करने वाला। नेसटो-(न0) तालाब भर जाने पर पानी के नियम से पालन करने वाला । नियमी। निकाल के लिये बनाया हुआ मार्ग । नेमी। नेस । ओटो। नेर-(न०) १. कतिपय नगरों के नाम के नेसावर-(वि०) १. वह जिसके नेस के दाँत अंत में लगने वाला प्रत्यय । जैसे- आ गये हों (ऊँट)। २. पक्का । खरा। बीकानेर, चंपानेर, जोबनेर आदि । २. नेह-(न०)१. स्नेह । प्रेम । २. तेल । स्नेह । नगर का अपभ्रंश रूप । ३. नगर । नेहड़ी-(ना०) मथानी को सीधी खड़ी रखने नेव-(न०) १. छपरे की छाजन का थेपड़ा। का बिलौने का एक उपकरण । खपरेल । २. नरिया । ३. छपरे की नेहड़ो-(न०) स्नेह । नेह । किनारी जिसमें होकर बरसात का पानी नेहडो-दे० नेहढो । नीचे टपकता है । छप्पर के छोर के खपरे। नेहढो-दे० निसरड़ो। पोलती। प्रोरी । ४. अोलती में से गिरने नेहप्रिय-(न0) दीपक । दीवो। वाला पानी। नेह भीनो-(वि०) स्नेहसिक्त। नेवगी-दे० नेगी। नेहालंदी-(ना०) प्रेमिका । (वि०) स्नेह नेवज-(न०) देवता को अर्पण किया जाने लुब्धा । वाला मधुरान्न । नैवेद्य । भोग । प्रसाद । नेही-(वि०) प्रेमी । स्नेही । (न0) मित्र । नेव झरणो-(मुहा०) १. त्रुटि होना। २. सखा । दोष या अवगुण होना । ३. छपरे से नै-(प्रत्य०) १. कर्म कारक की विभक्ति । पानी टपकना । पोलती में से पानी को' । जैसे-राम नै आवरण दो अर्थात गिरना। 'राम को आने दो।' २. क्रिया (मूलधातु) नेवर-(न०) १. स्त्री के पाँवों का एक के अंत में लग कर 'करके', 'कर', 'के' गहना । नेवरी। २. पाजेब । नुपुर । अर्थों को प्रकट करने वाला एक प्रत्यय, नेपुर । ३. कोतल घोड़े के एक पांव में जैसे-'रोटी खायनै पाऊं हूं' अर्थात पहिनाया जाने वाला एक जेवर । नेवर । 'रोटी खाकर (खा करके या खा के) प्राता नेवरी-(न०) १. स्त्री के पाँवों का एक हैं'। ३. एक संयोजक अव्यय । वह शब्द गहना । नेवरी । २. पाजेब । नूपुर । जो दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने का नेवाण-(न०) जैसलमेर जिले का एक काम करता है। और । व । ऐसे ही। प्रदेश । दे० निवारण । जैसे-'राम नै केशव रोटी खाय रया है' नेस-(न०)१. दान में दी हुई भूमि या गांव । अर्थात राम और केशव रोटी खा रहे हैं। २. घर । मकान । ३.प्रदेश । ४. किसानों ४. दिशा सूचक शब्द के साथ लग कर तथा ग्वालों का जंगल में बनाया हुआ 'मोर', 'तरफ' अर्थ को व्यक्त करने वाला झोंपड़ों वाला छोटा गांव । हाणी । ५. एक अध्यय । जैसे-'अठीन', 'कठीने' For Private and Personal Use Only

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