Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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नरेस वरम्म ( ६६५ )
नवेतर नरेस-वरम्म-(न०) १.स्वामी के लिए कवच हड्डी । २. कपड़ा बुनने की नली। ३.
रूप । २. राजा का अंग रक्षक ।। नलिका । भूगळी । ४ एक फूक वाद्य । नरेहरण-(वि०) १. निष्कपट । निश्छल। तुरही ।
२. निष्कलक । निर्दोष । ३. निष्पाप। नळो-(न०) १. सिंह, चीते आदि का अगला ४. नहीं हटने वाला। पीछे पाँव नहीं पाँव । २. हिंसक पशुओं के अगले पांव देने वाला । ५. जबरदस्त । (न०) की लंबी हड्डी। ३. घोड़े के अगले पांव राजा। (अव्य०) राजा से । राजा के की लंबी हडी। ४. नाला। ५. पर्वत । द्वारा।
नव-(वि०) १. नया । २. चार और पांच । नरेहर-दे० नरेहण ।
नो । (न०) नो की संख्या। '' नळ-(न०) १. पेट की बड़ी प्रांत । २. पेडू नवकार मंत्र-(न०) जैन धर्मनुयायियों के
की एक नाड़ी । ३. धातु की एक लंबी . जपने का एक मंत्र । जनों का प्रसिद्ध नलिका । नल । २. एक वाद्य । ५. सिंह नमस्कार मंत्र ।। आदि हिंसक पशुओं के आगे के पाँव । नवकारसी-दे० नोकारसी। ६. उनके आगे के पाँव की लबी हड्डी। नवकुळी-(वि०) नौ कुलों वाले (नाग)। ७. घोड़े के अगले पांव की लंबी हड्डी। नवकोट-(न०) १. मारवाड़ देश । २. मार८. घोड़े का नथुना। ६. निषध देश के वाड़ के प्रसिद्ध नौ किले । ३. एक राजा का नाम जो दमयंति का पति था। ऐतिहासिक नगर का नाम । १०. सेतू बाँधने वाला राम की सेना का नवकोटी-(वि०) नौ प्रसिद्ध दुर्गों वाला एक वानर ।
(मारवाड़ देश)। नळको-दे० नळी।
नवकोटी मारवाड़-(न०) नौ प्रसिद्ध और नलज-(वि०) निर्लज्ज । बेशर्म ।
बड़े दुर्गों वाला मारवाड़ राज्य । नलजियो-(वि०) लज्जित नहीं होने वाला। नवखंड-(न०) पौराणिक भूगोल के अनुसार निर्लज्ज ।
पृथ्वी के नव खंड । २. समस्त पृथ्वी । नलजो-(वि०) निर्लज्ज । नलज ।
३. जंबूद्वीप के नौ खंड। नळणी (ना०) नलिनी । कमलिनी। नवगढ-(न0) मारवाड़ के प्रसिद्ध नव किले। नळराजा-दे० नळ सं०६
नवग्रह-(न0) फलित ज्योतिष के अनुसार नळियो-(न०) १. नलिका। छोटा प्रौर सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुद्ध, गुरू, शुक्र, शनि, पतला नल । २. मिट्टी का पका हुआ राहु और केतु ये नौ ग्रह । अद्ध वृत्ताकार टुकड़ा जो घर की छाजन नवग्रही-दे० नोधरी। पर दो थेपड़ों की संधि ढकने के लिये नवचंडी-(ना०) १. नौ दुर्गा । २. नौ रखा जाता है । नरिया । अर्द्धवृत्ताकार दुर्गाओं का पूजन, होम इत्यादि। खपड़ा। ३. मूठ या तिमणिया नामक नवजणो-(न०) गाय को दुहते समय उसके स्त्रियों के गले में पहनने के गहने का वह पिछले पाँवों को बाँधने की रस्सी। छांद । भाग जो नलिका के जैसा होता है और नोई । पगहा । नोजरखो । नूजरणो। जिसमें डोरी डाल कर गले में पहना नवतर-(न०) जोतने से छोड़ा जाने वाला जाता है।
(बुवाई नहीं किया जाने वाला) खेत का नळी-(ना.) १. घुटने से नीचे की पांव की कुछ भाग ।
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