Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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नाहिमत
निकळणो नाहिमत-(वि०) १. बे हिम्मत । पश्त नाँवजाद-दे० नामजाद ।
हिम्मत । साहसहीन । २. कायर। नाँव जादिक-दे० नांव जादीक । नाही-(अव्य०) १. नहीं। २. कदापि नहीं। नाँवजादी-(वि०) अपने नाम से पहिचाना नाहेट-दे० नायठ।
__ जाने वाला । विख्यात । नाहेटू-दे० नायठू।
नाँवजादीक-दे० नांवजादी । नाहेडू दे० नाहे।
नाँव जादो-दे० नांवजादी। नाहेसर रो मगरो-(न0) मेवाड़ का एक नाँव-ठाँव-(न०) नाम और पता। पतापर्वत ।
ठिकाना। नां-(प्रत्य०) १. कर्म और सम्प्रदान कारक नाँवै-परनाँवै-(प्रव्य०)१. उस । उसके नाम
की विभक्ति । को। (अव्य०) १. लग। पर। २. जिस-जिसके नाम से । ३. तक । पर्यंत । लौं। २. के ताई। के प्रत्येक के नाम पर। (वि०) प्रति प्रसिद्ध । लिये । ३. जो है।
नहि-(अव्य०) नहीं। नाँई-(वि०) समान । तरह।
नि-(अव्य०)एक उपसर्ग । यह जिन शब्दों के नांखणो-(कि०) १. डालना। गिराना। पहले आता है. बहुधा उनके अर्थ विपरीत
२. फेंकना । ३. धरना । रखना। ४. दूर कर देता है। जैसे-निकलंक । निकमो । करना । बाजू पर रखना। ५. अंदर निडर । इत्यादि ।
डालना । ६. दौड़ाना । वेग देना। नि-दे० निज । नांग-दे० नग सं० १, २, ३
निमामत-(ना०) ईश्वर प्रदत्त धन-संपत्ति, नाँगळ-(न०) १. नवनिर्मित गृह-प्रवेश के सौंदर्य, गुण, कृपा इत्यादि । ईश्वर की
समय की जाने वाली घट-पूजा और गृह- देन । २. धन-दौलत । ३. सुख । ४. दुर्लभ पूजा। २. गृह-पूजा के समय किया जाने गुण । ५. बहुमूल्य पदार्थ । वाला भोज । ३. बैलों की जोड़ी (हल में निकट-(क्रि०वि०) पास । पास में। जुतने वाली)। ४. मिट्टी का घड़ा। ५. निकमाई-(ना०) निकम्मापन । प्रवरोध । ६. बंधन ।
निकमो-(वि०) १. निकम्मा । नाकारा । नांगळणो-(क्रि०) १. पशु के गले में बंधी २. व्यर्थ । बेकार । फजूल । ३. खोटा ।
रस्सी से एक या अधिक पशुत्रों को एक बुरा। साथ बाँधना । २. एक सांकळ (नोळ) से निकम्मो-दे० निकमो । ऊँट के दोनों पावों को बांधना । ३. लंगर निकर-(न०) समूह । डालना । लंगरणो । ५. बांधना। निकरम-(वि०) १. जो काम से रहित हो। नांगळियो-दे० नंगळियो।
जो काम में लिप्त न हो । निष्कर्म । २. नांघणो-(क्रि०)लांघना । नाँधना । लांघरणो। काम रहित । निष्क्रिय । ३. निकम्मा। नांज-(अव्य०) १. नहीं। २. नहीं हो। निकरमो-(वि०) निकम्मा । नहीं ज।
निकल-(ना०) एक सफेद घातु । नाँढ-(वि०) गवार । असभ्य ।
निकळणो-(क्रि०) १. भीतर से बाहर नांदियो-(न०) शिवजी का बैल । नंदी । आना । निकलना । २.चले जाना । गमन नांव-(न०) नाम । दे० नाम ।
करना । ३. उदय होना । प्रगट होना । नांवगो-दे० नामगो।
४. उत्पन्न होना। ५. प्रवर्तित होना।
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