Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan

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Page 655
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घर धरमदुपार की सौगात । ४. स्त्रियों द्वारा धमोळी धरत्री-(मा०) धरित्री । पृथ्वी । भोजन करने की क्रिया । धरथंभ-(न०) १. वीर । २. राजा। धर-(ना०) १. पृथ्वी । धरा । २. संसार । घरदीवो-(न०) देश का दीपक । सुकृ ३. पर्वत । (वि०) १. धारण करने तिजन। वाला । २. रक्षक । (प्रत्य०) 'धारक' धरधी-(ना०) सीता । जानकी । धरसुता । अर्थ को व्यक्त करने वाला एक प्रत्यय । धरधूधळ-(न०) रेगिस्तान । थळ । समासान्त शब्द । यथा-गजधर । धरनी-दे० धरणी। घरणीधर आदि। धरपत-(न०) १. संतोष। तृप्ति । २. धर-करवत-(न०) ऊंट । . प्रारम्भ । शुरू । ३. धरापति । राजा। धरकार-(न०) धिक्कार । धरपति-(न०) राजा । धरापति ।। धरकोट-(न०) १. जमीन पर बना हुआ धरपाड़-(वि०) १. दूसरे की जमीन को कोट या किला । २. लकड़ी, कंटक, वृक्ष खोसने वाला । दूसरों की भूमि या प्रानि से बनाया हुअा बाड़ा। अहाता। राज्य को छीनने वाला । २. दूसरों की धरण-(ना०) १. धरणि । पृथ्वी । २. धरती में लूट-खसोट करने वाला । पात नाभि । टुडी । ३. नाभि की नस । तायी। धरणवै-(न०) धरणीपति । धरपुड़-(न०) पृथ्वीतल । घरणियो-(वि०) धरने वाला । रखने धरबरण-(न०) १. मिट्टी की छत । छत । वाला । धारण करने वाला। डागळो । २. ढेर । ३. पिटाई । धरणी-(ना०)१.धरती। जमीन । २.संसार । धरबरणो-(क्रि०) १. धरबरण बनाना। २. भूमण्डल । ठोंकना। पीटना । ३. पटकना । ४. धरणीधर-(न०) १. शेषनाग । २. पर्वत । ढेर लगाना । ३. विष्णु । ४. कच्छप । ५. मारवाड़ की धरम-दे० धर्म । सीमा पर उत्तर गुजरात के ढेमा गांव में धरम-करम-दे० धर्म-कर्म । प्राया हुआ एक प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ- धरमकाम-दे० धर्म काम । स्थान । (इसका प्राचीन नाम वाराहपुरी धरम करणो-(मुहा०) १. पुण्य का काम भी कहा जाता है। पैदल द्वारिका की करना । २. दान देना। यात्रा करने वाले उत्तर भारत के यात्रियों धरमखाते-(अव्य०) पुण्यार्थ । को धरणीधर की यात्रा भी करना जरूरी धर मजला धर कूचा-(अव्य०) राजस्थानी . समझा जाता था)। · कहानियों में यात्रा (प्रायः सामूहिक धरणो-(क्रि०) १. रखना । २. पकड़ना। • कूच) के प्रसंग में बातपोश के द्वारा कहा ३. संग्रह करना। ४. छोड़ना । ५. जाने वाला एक संपुट (कथन)। पड़ावनिश्चय करना । मन में विचार करना। दर-पड़ाव । ६. स्थिर करना । (न०) १. किसी के धरमजुध-(न0) कपट रहित और नियम. द्वारा मांग पूरी न होने पर उसके यहाँ पूर्वक किया जाने वाला युद्ध । वह युद्ध कर बैठना । तागो। २. अनशन । जिसमें किसी प्रकार के नियम का धरती-(ना०) १. धरणी। जमीन । २. उल्लंघन नहीं हो। धर्मयुद्ध । संसार । ३. राज्य । ४. देश । घरमदुपार-दे० धर्म द्वार। For Private and Personal Use Only

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