Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
त्रिकालन ( 1)
विधारो भर) पागल का जीवन जीने वाला । २. विजड़-(न०) १. तलवार । खड्ग । २. बिलकुल पागल । ३. महामूर्ख । गहलो। कटारी । ३. कोई शस्त्र । त्रिकालज्ञ-दे० त्रिकालदर्शी ।
त्रिजड़हथ-(वि०) तलवार धारी। शस्त्र त्रिकालदर्शी-(वि०) १. तीन काल की धारी । खडगहयो ।
जानने वाला। त्रिकालज्ञ । २. तीनों विजड़ी-(ना.) १. तलवार । तरवार । कालों को देखने वाला।
२. कटारी। त्रिकाल संध्या-(ना०) १. प्रातः, मध्यान्ह त्रिजात-(वि०) तीसरी जाति से उत्पन्न ।
और सायं का समय । २. प्रातः, मध्यान्ह व्यभिचार से उत्पन्न । (न०)जातिसंकर । और सायं-इन तीनों समयों में किये जाने विजात-रो-मूत-(न०) १. वर्णसंकर । २. वाले संध्या, तर्पण प्रादि दैनिक धार्मिक एक गाली। कर्मकाण्ड । ३. ठीक संध्या का समय ।
त्रिजामा-(ना०) रात । रात्रि । ऐन संध्या। ४. तीनों संध्याओं का त्रिपकाळ (न०) वह वष जिसम या
त्रिणकाळ-(न०) वह वर्ष जिसमें घास की समाप्ति विधान।
उपज कम अथवा बिल्कुल नहीं हुई हो । त्रिकुट-दे० त्रिकुट गढ़।
घास के अभाव वाला वर्ष । तृण दुष्काल। त्रिकुटगढ़-(न०) १. लका। २. लंका का त्रिरण-(न०) १. तृण । घास । २. तिनका ।
गढ़ । ३. लंका का त्रिकुटाचल पर्वत । सींक । (वि०) तीन । त्रिकुटाचल-दे० त्रिकुट गढ़।
त्रिणमात्र-दे० तिरणमात । त्रिकूटो-(न०) सोंठ, मिर्च और पीपर का त्रिणि-दे० त्रिण । मिश्रित चूर्ण।
त्रिणेव-(अव्य०) तीनों ही । तीन ही। त्रिकुटबंध-(न०) डिंगल का एक छंद ।।
त्रिणो-(न०)१. तृण । तिनका । २. घाम। त्रिकोण-(न०) तीन कोनों वाली प्राकृति ।
चारा। तीन कोनों वाली कोई वस्तु । त्रिभुजक्षेत्र ।
त्रिण्ह-(न०) तीन की संख्या । (वि०)तीन । त्रिकोणगढ-दे० त्रिकुट गढ़ ।
त्रिताल-(न०)वाद्य का एक ताल। तिताला। त्रिकोरिणयो-(वि०) तीन कोनों वाला।
त्रितीया-(ना०) मास के पक्ष का तीसरा तिकोरिणयो।
__ दिन । तृतीया तिथि। त्रिखा-(ना०) १. प्यास । तपा। तिरस । त्रिदस-(न०)१. देवता। २. त्रिनेत्र । शिव । २. तृष्णा ।
__ (वि०) तेरह । त्रिखावंत-(वि०) तृषावान् । प्यासा । त्रिदेव-(न0) ब्रह्मा, विष्णु और महादेव । तिरसो।
त्रिदोष-(न०) वात्, पित्त और कफ-शरीर त्रिखूरिणयो-दे० तिखूणियो।
___ के ये तीन दोष । त्रिगुण-(न०) १. सत्व, रज और तम ये विधा-(अव्य०) १. तीन प्रकार से। २.
तीन गुण । (वि०) तिगुना । तीन गुना। तीन ओर से । ३. तीन तरफ में । तिगुणो।
त्रिधार-(न०) १. भाला विशेष । २. त्रिगुणनाथ-(न०)त्रिगुणपति । परमेश्वर। तिधारा । ३. तीन धाराएँ । त्रिचख-(न०) महादेव । त्र्यम्बक । त्रिचक्षु। त्रिधारी-(न०) तीन कोनों वाली रेति । त्रिजटा-(ना०) रावण की बहिन का नाम। अरगती । तिधारी।
अशोक बाग में सीता की चौकी करने त्रिधारो-(न०) एक प्रकार का भाला । वाली राक्षसी।
(वि०) तीन धाराओं वाला।
For Private and Personal Use Only