Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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साला
दिलेसर । ६१.)
दिसांतरी दिलेसर-(न०) दिल्लीश्वर । राजा । बाद- दिशाओं की कल्पना करके १६ दिशाएँ शाह । (वि०) बड़े दिल वाला।
ओर दो प्राकाश पाताल इस प्रकार कुल दिल्लगी-(ना०) १. मनोरंजन । विनोद । १८ दिशाएँ मानी गई हैं।) ३. भोर । __ मजाक ।
तरफ । बाजू । दिल्ली-(ना०) इतिहास प्रसिद्ध भारत की दिशाशूल-(न०) ज्योतिष के अनुसार अमुक राजधानी का नगर ।
दिशा में जाने के लिए अशुभ गिना जाने दिल्लीबोर-(न०)एक प्रकार का बड़ा बेर। वाला दिन । दिल्लीवै-(न०) १. दिल्लीपति । २. दिशासुत-(न०) दीपक । बादशाह ।
दिस-(ना०) १. दिशा । २. तरफ । पोर । दिव-(न०) १. दिन । २. सूर्य । ३. दीपक। दिसट-(ना०) दृष्टि ।
४. स्वर्ग । ५. आकाश । (वि०) १. दिसली-(प्रव्य०) १. अोर की । तरफ की। दिव्य । २. आलौकिक । ३. प्रकाशमान। २. दिशा की ओर से । दिव चख-(न०) १. सूर्य । २. ज्ञानचक्षु । दिसंतरी-दे० दिसांतरी। दिव्यचक्षु ।
दिसंबर-(न०) ईसवी सन का बारहवाँ दिवटियो-दे० दीवटियो।
(अंतिम) महीना । डिसेम्बर । दिवलो-(न०) दीपक । दिउला । बीवो। दिसा-(ना.) १. क्षितिज वृत के किये हुये दिवलोक-(न०) स्वर्ग।
मुख्य चार और इनके अन्तर्गत राजस्थान दिवस-(न०) १. सूर्योदय से सूर्यास्त तक का । में सोलह (आकाश पाताल के साथ १८)
समय । दिन । २. एक सूर्योदय से दूसरे कल्पित विभागों में से एक । दिशा । सूर्योदय तक का समय । दिन । दिवस ।। दिक । २. ओर । बाजू। तरफ । ३.
३. समय । जमाना । दिन । ४. दिन । पाखाना । विष्टा । टट्टी। ४. मल त्याग दिवसकर-(न०) सूर्य ।
की क्रिया। (अव्य०) बाबत । संबंध में । दिवसमुख-(न०) प्रभात ।
दिसा जाणो-मल त्याग करना। पाखाना दिवाकर-(न०) सूर्य ।
जाना । टट्टी जाना । झाड़ेजारणो । दिवाटियो-दे० दीवटियो।
दिसा-फरागत-(न०) १. मल त्याग । दिवायर-(न०) दिवाकर । सूर्य ।
फरागत । पाखाने जाना । झाड़ेजारणो। दिवाळी-दे० दीवाळी।
दिसाभूल-(न0) दिशाभ्रम ।। दिव्य-(वि०) १. अलौकिक । २. भव्य । दिसावर-(न०) १. परदेश । विदेश । देशा
शानदार । ३. प्रकाशमान । ४. सुन्दर । वर । २. प्रदेश । दिव्य दृष्टि-(ना०) अलौकिक दृष्टि । दिसावरी-(वि०) १. परदेश में रहने दिव्यास्त्र-(न०) १. मंत्र द्वारा परिचलित वाला। २. परदेश में व्यवसाय करने
अस्त्र । २. देवता द्वारा प्रदत्त अस्त्र। वाला। ३. परदेशी। ४. दिसावर से दिशा-(ना०) १. क्षितिज वृत के किये हुए संबंधित । दिसावर का।
चार विभागों में से एक । २. दिशामों के दिसांतरी-(न0) १. एक ब्राह्मण जाति चार कोण और दो आकाश-पाताल-इस जो मृतक का एकादशा कर्म करवाती है। प्रकार दस दिशाओं में से प्रत्येक । २. शनिवार की पीड़ा निवारणार्थ दान (राजस्थानी में आठ त्रिकोण (शकुन) लेने वाली एक जाति । डाकोत । ३.
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