Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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त्रिसणा
त्रिनेत्र
। ५७ ) त्रिनेत्र-(न०) महादेव । शिव ।
वह स्थान । त्रिपथ । २. सीन जनों का त्रिपट-(वि०) १. तिगुना। २. तीन परतों साथ ।
वाला । ३. दुष्ट । ४. कष्टदायी। त्रिमासिक-(वि०) तीन में होने वाला। त्रिपत-(वि०) तृप्त । संतुष्ट ।।
त्रिया-(ना०) १. स्त्री । २. पत्नी । त्रिपथ-(न०) १. जहाँ तीन मार्ग मिले वह त्रिलोक-(न०) त्रिभुवन । तीन लोक (स्वर्ग स्थान । २. स्वर्ग, पाताल और मृत्युलोक ।
ताल)। त्रिपथगा-(ना०) गंगा।
त्रिलोकी-(ना०) त्रिलोक । (वि०) त्रिलोक
का। त्रिपथा-(ना०) गंगा । त्रिपथगा। त्रिपंखो-(न०) डिंगल का एक छंद।
त्रिलोकीनाथ-(न०)तीनों लोकों का स्वामी।
त्रिभुवनपति । परमात्मा। त्रिपाठी-(न0) ब्राह्मणों की एक अल्ल ।
त्रिलोचण-(न०) शिव । महादेव । (वि०) तीन वेदों का पठन करने वाला।
त्रिलोचन । त्रिवेदी। त्रिपिटक-(न०) सुत्त, विनय और अभिधाम
त्रिलोचन-दे० त्रिलोचण।
त्रिलोयण-(न०) त्रिलोचन । शिव । इन तीनों प्रकार के बौद्ध ग्रन्थों का समूह ।
महादेव । त्रिपुरार(न०) त्रिपुरारि । महादेव ।
त्रिवट-दे० तीवट । त्रिपुड-(न०) तीन रेखाओं वाला शैव
त्रिवलि-(न0) पेट के तीन बल । पेट के तिलक । त्रिपुण्ड्र ।
ऊपर पड़ने वाली तीन वलि । त्रिवलि । त्रिपोळियो-दे० तिपोळियो।
त्रिवाड़ी-(न0) ब्राह्मणों की एक प्रल्ल । त्रिफला-(न०) हरे, बहेड़ा और आँवला
त्रिपाठी । तिवारी। इन तीनों का सामाहार या चूर्ण । त्रिविक्रम-(न०) विष्णु । त्रिबंक-(न०)१. डिंगल का एक गीत-छंद । त्रिविष्टप-(न0) स्वर्ग । २. नगाड़ा।
त्रिवेणी-(ना०) १. गंगा, यमुना और त्रिभग-(न०) भाला।
सरस्वती। २. वह स्थान जहाँ तीनों का त्रिभंग-(वि०) १. जो पाँव, कमर और संगम होता है । प्रयाग । ३. इड़ा,पिंगला
गरदन इन तीनों जगहों से टेढ़ा हो। और सुषम्ना-ये तीनों नाडियाँ (हठयोग)। (न०) इस प्रकार की टेढ़ाइयों से खड़े त्रिवेदी-110) तीन वेदों को जानने वाला। होने की स्थिति ।
२. ब्राह्मणों की एक अल्ल । त्रिभंगी-(न०) १. एक छंद । २. एक राग। त्रिशक्ति-दे० त्रिसकति । ३. एक ताल । दे० त्रिभंग।
त्रिशल-(न)तीन अनियों वाला एक शस्त्र । त्रिभाग-दे० विभागो।
त्रिशूल । शिवास्त्र । विभागो-(न०) १. भाला। २. तीन धार त्रिस-(10) तृषा । प्यास । तिस । वाला शस्त्र।
त्रिसकति-(ना०) १. दुर्गा, सरस्वती और त्रिभांड-दे० तिरभाँड ।
लक्ष्मी । तीन देवियां । त्रिशक्ति । २. त्रिभूवरण-(न०) स्वर्ग, मृत्यु और पाताल, दुर्गा । ३. गायत्री। ये तीनों लोक । त्रिभुवन ।
त्रिसणा-(न०) १. तृष्णा। प्यास । २. त्रिभुवन-दे० त्रिभुवण ।
अप्राप्त वस्तु को पाने तीव्र इच्छा । ३. त्रिभेटा-(न०) जहाँ तीन मार्ग मिलते हों, लोभ ।
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