Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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थाळी बाजणी । ५८४ )
या हस्ते थाळी बाजरणी-(मुहा०) १. पुत्र जन्म हद । (वि०) असीम । बेहद । (सर्व०)
होना। २. पुत्र जन्म का उत्सव होना। तरा । थारो।
३. पुत्र जन्म पर थाली का बजना। थाहरी-(सर्व०) तेरी । थारी । थाळे पड़णो-दे० थाल पड़णो।
थाहरो-(सर्व०) तेरा । थारो। थाळो-(न०) १. जमीन का वह भाग, जिस
थां-(सर्व०) तुम । प्राप । थे।
थाँकी-(सर्व०) तुम्हारी । यौरी । पर मकान बनाना है। मकान बनाने की
थाँके-(सर्व०) प्रापके । तुम्हारे । धार । जमीन । प्लॉट । तळियो। २. सोने या चाँदी के पत्तर पर ठप्पे में उठाई हुई,
थाँको-(सर्व०) तुम्हारा । आपका । थारो।
थान-(सर्व०) तुमको । थाने । फूल और बेलबूटों से युक्त इष्ट देवता
थॉन-दे० थान । की मूर्ति जिसे गले में पहिना जाता है ।
थाभ-(न०) १. विवाह का मंगल-स्तम्भ । फल । ३. कुएँ के मुंह पर कोस के पानी २. थंभ । स्तंभ । थांभो। को खाली करने के लिए बना हुआ थाँभणो-(क्रि०) १. रोकना । ठहरना । छिछला कुंड । थाला। ४. छोटे वृक्ष की
२. सहारा देना। ३. पकड़ना । लेना। रक्षा के लिये बनाया हुया घेरा । पाल
ग्रहण करना । ४. खड़ा करना । बाल । थाँवळो।
थाँभ पूजा-(न०)दुलहे द्वारा की जाने वाली थावणो-(क्रि०) १. होना । २. बनना। स्तम्भ पूजा । थावर-(न०) १. शनि । २. शनिवार । ३.
थाँभली-(ना०) छोटा खंभा । थामली । पर्वत । पहाड़ । (वि०) १. स्थावर। थाँभलो-(न०) खंभा । स्तम्भ । थांभो। प्रचल । २. मूर्ख । नासमझ ।
थाभायत-(न०)वंश का मूल पुरुष । शाखा थावर वार-(न०) शनिवार ।
पुरुष । बडेरो।
थांभो-(न०)(न०)खंभा । स्तंभ । थाँभलो । थावरियो-(न०)१. शनि-कोप निवारण हेतु
२. सहारा । ३. वंश (वंश वृक्ष या उसकी दान लेने वाली एक ब्राह्मण जाति । २.
बड़ी शाखा) का मूल पुरुष । ४. वंशइस जाति का व्यक्ति । सनीचरियो ।
वेलि । ५. साधु-सम्प्रदाय में वह साधु थावस-(न०) १. धीरज । २. स्थिरता ।
जिसके नाग से उसकी शिष्य परम्परा ३. विश्वास । ४. आश्वासन । सान्तवना। पहचानी जाती है। दिलासा।
थारी-(सर्व०) तुम्हारी । प्रापकी । थोकी । थावसयो-(क्रि०) १. धीरज बँधाना। २. थारै-(सर्व०) तुम्हारे । आपके । थाके।
सान्तवना देना । दिलासा देना। थोरै सू-(प्रव्य०) तुम्हारे से । पासू। थासू- (सर्व०) तेरे से । तुझ से। थारो-(सर्व०) तुम्हारा । प्रापका । थोको । थाह-(ना०) १. नदी, तालाब आदि की थाँ सू-(अव्य०) तुम्हारे से । थोरसू।
गहराई की सीमा। थाह । तल । २. थाँहरी-दे० थारी। गहराई का पता । ३. छह । पार। अंत। थाँहर-दे० थारे । थाहगो-(कि०) १. स्थित करना। २. थाहरो-दे० थारो।
राकना । (वि०) रोकने वाला। थाँ हस्ते-(प्रव्य०) १. तुमारे द्वारा। २. थाहर-(न०) १. स्थान । २. सिंह की गुफा। तुमारी मारफत । ३. तुमारे हाथ से । ४.
३. गढ़ । ४. घर । मकान । ५. सीमा। तुमारे यहाँ । ५. तुमारे अधिकार में।
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