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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५५६) तीसमारखो तीन-(वि०) दो और एक । (न०) तीन की उपवास प्रादि । संख्या । '३' तीरबारा-दे० तीरबारी । तीन-पाँच-(ना०) १. शेखी । २. मिजाज। तीरबारी-(ना०ब०व०) १. दुर्ग के परकोटे तीन-बीसी-(वि०) साठ। उनसठ प्रौर और बुर्ज में बनी वह छिद्र पॅक्ति जिनमें एक । पचास और दस । होकर दुर्ग को घेरे हुए शत्रु दल पर तीर तीब-(ना०) १. एक गहना । २. चूड़ियों अथवा बंदूक की गोलियां चलाई जाती की पत्तियों की जोड़ का एक गहना । ३. हैं। तीरकस । २. तीरों का चलना । फटे हुये वस्त्र के दिये जाने वाला टाँका।। तीर चलने की क्रिया। ४. सिलाई । ५. जोड़ । ६. टाँका। तीरवा-(ना०)बाण छोड़ने पर वह जितना तीबगो-(क्रि०) वस्त्र में टाँका लगाना ।। दूर जा सके उतना अन्तर । तीर वाह । तीब्र-(वि०) १. बहुत तेज । तीव्र । २. तीरवाह-दे० तीरवा। तीक्ष्ण । ३. असह्य । ४. उग्र । ५. जोर- तीरंदाज-(वि०) १. तीर छोड़ने में कुशल । दार। २. निशाना बाज। तीब्रबद्धि-(वि०) मेधावी । तेज बुद्धिवाला। तीरंबाज-दे० तीरंदाज । तीमो-(ना) १. स्त्री । औरत । तीवई। वीरे-क्रिवि) १. किनारे। २. पास । २. पत्नी । लुगाई। निकट । ३. बाद । पीछे । तीयो-दे० तियो। तीर्थ-दे० तीरथ । तीर-(न0) १. नदी, तालाब आदि का तीर्थस्थान-(10) तीर्थयात्रा करने योग्य किनारा। २. बारण । शर। पवित्र धार्मिक स्थान । यात्राधाम । तीरकस-(न०) १. मकान या परकोटे की तीर्थरूप-(वि०) १. पूज्य । २. पवित्र । दीवाल में बने वे छेद जिनमें से तीर या (अव्य०) पिता आदि गुरुजनों के लिये बंदूक की गोली चलाई जाती है । २. (पत्रादि में) प्रयुक्त किया जाने वाला बारणों का भाथा । अादर सूचक शब्द । तीरकारी-'ना०) १. तीरों का युद्ध । बारण तील-(ना०) १. अंगिया । कंचुकी। २. एक युद्ध ।। २. तीर चलाने की क्रिया । गहना। तोरगर-(न०) बाण बनाने वाला। तोवट-(न0) वाद्य और संगीत का एक तीरथ-(न०) १. तीर्थ । पुण्य स्थान । २. ताल । त्रिवट । त्रिताल । किसी पवित्र नदी (गंगा यमुना आदि) के किनारे बना धर्म-स्थान । ३. दसनामी तीवरण-(न०) १. दाल, कढ़ी प्रादि साग । संन्यासियों का एक नामाभिभेद । ४. रसेदार तरकारी। २. व्यंजन । नमकीन संन्यासियों की एक उपाधि । भोज्य पदार्थ । तीरथ-बड़कूलिया-दे० तीरथ-व्रत । तीस-(वि०) बीस और दस । (न0) तीस तीरथराज-(न०) प्रयाग । तीर्थराज। की संख्या । '३०' तीरथ-वरतोलिया-दे० तीरथ-व्रत । तीसमार-दे० तीसमारखाँ । तीरथ-व्रत-(न०) १. तीर्थ और व्रत । २. तीसमारको-तीसमारखाँ । तीर्थ यात्रा के धार्मिक नियम-व्रत । ३. तीसमारखाँ-(वि०)१. अपने आपको बहादुर तीर्थ यात्रा के समय किये जाने वाले व्रत- समझने वाला। २. शेखी मारने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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