Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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भोवाणी ( ४ )
जुगजुगी जीवाणी-(10)१. पानी वाले जीव । सूक्ष्म जीवणी-कानी-(प्रव्य०) दाहिनी पोर ।
जल -जीव । २. पानी को छानने पर छन्ने जीवणी-दिस-(अव्य०) दाहिनी ओर।
में रह गये जीव । ३. जीवों वाला पानी। जीवणो-(वि०) दाहिना । जीमणो । जीवाणू-(न०) १. जीवयुक्त अणु । २. अणु जींस-(सर्व०) जिससे ।
के समान सूक्ष्म जीव ।। ३. जोवारणी। जु-(अव्य०) एक पादपूरक अव्यय । २. एक पानी वाले जीव । ४. जीव वाला पानी। संयोजक अव्यय । कि । ३. यदि । जो । जीवात-(ना०) १. सूक्ष्म जंतु या कीड़ों का अगर । -(मर्व०) १. जो । २. वह । समूह । २. अनाज में पड़ने वाले जंतु। जुग्रळ-(न०) युगल । जोड़ा । युग्म । ३. जीवात्मा । जीव।
जुग्राजुमा-(वि०) जुदा-जुदा । अलगजीवारी-(ना०) १. जीवन का साधन । . अलग । भिन्न-भिन्न ।
२. भूख प्यास आदि के (प्राण हरण जैसे) जुग्रा-जुई-(ना०) विवाह के अवसर पर वरसंकट से उद्धार । प्राण जाने की स्थिति वधू के परस्पर जुमा खेलने की एक प्रथा। का निवारण । भरण-पोषण । निर्वाह । जुपाड़ो-(न०) बैलगाड़ी के आगे लगा जीविका । ४. जीव । प्राण । ५. जीवन। रहने वाला एक काष्ठ उपकरण जो बैलजिंदगी। ६. पाश्रय । ७. परस्पर के गाड़ी को खींचने के लिए बैलों के कंधों संबन्धों की मधुरता।
पर रखा जाता है । जुआ । जुमाठो। जीवावणो-दे० जीवाड़णो।
जूप्रार-(ना०) एक बरछट अनाज । ज्वार । जीवाहन-(न०) इन्द्र । जीमूतवाहन।। जवार। जी-सा-(अव्य०) १. पिता या पितामह प्रादि जुग्रारी-(न0) जुमा खेलने वाला । द्यूत
गुरुजनों के लिये आदर सूचक संबोधन । कार । तविद । (न०) पिता।
जुई-(वि०) जुदी । अलग। जीह-(ना०) जिह्वा । जीभ ।
जुनो-(वि०) जुदा । अलग । (न0) जुमा । जीहा-दे० जीह । जीं-(वि०) जिस । जिण । -(सर्व०) जिसने। जुखाम-(न०) सरदी से होने वाला एक रोग जिणे ।
जिसमें नाक तथा मुह से कफ निकलता जीखा-दे० जीखा ।
है । जुकाम । श्लेष्म । सळे खम । ठाड। जींगण-(न०) जुगनू । खद्योत । प्रागियो। सरदी । जींजणियाळ -(ना०) जीजणी और बेरी जुग-(न०) १. युग । बारह वर्ष का काल । : वृक्ष की पोरण (रक्षित वन क्षेत्र) में रहने २. जमाना । जुग । काल । ३. शास्त्राबाली देवी। २. करणी देवी।
नुसार काल का एक दीर्घ परिमाण जो जींजणियाळी-दे० जीजणियाळ ।
सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के नाम जीजणी-(ना.) एक क्षुप । २. कंटीली से विभाजित है । ४. जोड़ा । युग्म ।। झाड़ी।
जुग-जमारो-(न०) लंबा समय । वर्षों के जीजा-(न०००) झांझ, ताल या मजीरों वर्ष । (अव्य०) बहुत वर्ष पहले। की जोड़ी।
जुगजुगाँ-(अव्य०) अनेक युगों तक । जीझरिणयाळी-दे० जीजणियाळ । जुगजुगी-(ना०) गले का एक भाभूषण। जीन-(सर्व०) जिसको।
धुगधुगी।
गयाळ।
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