Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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ठोरगणो
। ५.२ )
ठेट तक ठीणणो-(क्रि०) १. निंदा करना । हलका ठूगार-(न०) अफीम, भंग आदि लेने के दिखाना। २. अप्रितिष्ठित करना। ३. बाद किया जाने वाला नाश्ता । नशा लेने उपालंभ देना। बुरा भला कहना । ४. के बाद किया जाने वाला जलपान । तुच्छ समझना। हलका समझना। ठूगो-(न०) १. कागज की कोथली। २. ठीब-(न०) टूटे हुये मिट्टी के घड़े, हंडिया
अफीम, शराब प्रादि नशीली चीजें खानेआदि के नीचे का भाग।
पीने के बाद लिया जाने वाला नाश्ता ।
ठूगार। ठीबड़ी-(ना०) १. टूटा हुप्रा मिट्टी का
ठूठ-(न०) १. सूखा हुअा वृक्ष या लकड़ा । बरतन । २. टूटे हुये मिट्टी के घड़े आदि के नीचे का भाग का बड़ा टुकड़ा ।
पेड़ का सूखा तना । छैठ। २. वह लाश
(शरीर) जिसका दम निकले हुये बहुत ठीबड़ो-(न०) १. फूटा हुआ मिट्टी का
समय होने के कारण अकड़ गई हो। बरतन । २. बड़ी ठीब ।
ठूठो-दे० ठूठ। ठीमर-(वि०)१. गंभीर । २. शांत । धीर।
ह्रसरणो-(क्रि०) १. दबा-दबा कर भरना । . धैर्यवान । ३. आवश्यकता से अधिक नहीं
बलपूर्वक घुसाना। २. पेट भर जाने पर बोलने वाला।
भी खाते रहना । डट कर खाना । ठीमरपणो-(ना०) १. गंभीरता। २. धैर्य । ठसियो-(न०) १. गले का एक गहना । धीरज ।
२. ऊंट को खांसी होने का एक रोग । ठीमराई-दे० ठीमरपणो।
ठेक-दे० ठेकां । ठीयणो-(क्रि०) १. होना। २. बनना। ठेकड़ी-दे० ठेकां। थियो।
ठेका देणो-(मुहा०) भाग जाना। ठीया-(न०ब०व०) १. वे दो पत्थर जिन पर ठेकाँ-(ना०) १. हँसी । मजाक । ठठोली ।
पांव रख कर पाखाना फिरने को उकड़ २. ताना। व्यंग्य । ३. कुदान । चौकड़ी। (पाँवों को टिका कर) बैठा जाता है । २. ठेकेदार-(न0) ठीकेदार । अस्थाई तौर से बनाये हुये चूल्हे के तीन ठेकेदारी-(ना०) १. ठीकेदार का काम । पत्थर।
ठीकेदारी। ठीगणो-(वि०) प्रमाण में कम ऊँचाई । ठेको-(न०) १. छलांग । झांप। २. पलाठिगना । बोना।
यन । फरार । ३. घोड़ी की एक चाल । ठींगो-(वि०) १. जबरदस्त । २. ठिगना।। ४. ठेका । ठीका । इजारा। ५. तबला ठींडो-(न०) सुराख । छेद ।
या ढोलक बजाने की एक रीति । ताल । ठुमरी-(ना०)एक प्रकार का गाना या राग। ठेचरी-(ना०) उपहास । दिल्लगी। निंदा ठळी-(ना०) बारीक छोटा काँटा। कँटिया। सूचक हास । मखौल । ठेसरी । फांस ।
ठेट-(न०) १. शुरू। प्रारंभ । २. अंत । ठुळियो-दे० ठळियो।
पार । ३. दूर । फासला। ४. लक्ष्य । ठूसी-(ना०) स्त्रियों के गले का एक गहना। (क्रि०वि०) फासले पर। अंतर पर। ट्रंकलणो-(कि०) १. किसी के काम में दोष दूर । (अव्य०) १. अंत तक । २. लक्ष्य
निकालना। ऐब देखना। २. डाँटना। तक । फटकारना।
ठेट तक-(अन्य०) १. अंत तक । भाखिर डूंग-दे०ढुंगार।
तक । २. लक्ष्य तक । ३. पूर्ण होने तक।
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