Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हेरियो
( ५३.)
ढोळ बैठणो
देरियो-दे० ढेगे।
ढोल-(न0) १. दोनों ओर चमड़ा मढ़ा हुआ ढेरी-(ना०) ढेर । राशि । ढगली । ढिगली। एक बड़ा बाजा। २. पानी अादि भरने (वि०) मूर्खा ।
का ढोल के समान लोहे आदि का बड़ा ढेरो-(वि०) १. मूर्ख । २. पालसी । (न०) पात्र ।
एक उपकरण जिससे रस्सी बटी जाती ढोलक- दे० ढोलको । है। फिरकी।
ढोलकी-(ना०) लकड़ी के गोल खोखले घेरे ढेल-(ना०) मोरनी । मयूरी । ढेलड़ी। के दोनों ओर चमड़े से मँढा हुआ एक ढेलड़ी-(ना०)१. दिल्ली नगर । २. मोरनी। वाद्य जो ढोल से छोटा होता है । मयूरी।
ढोलड़ी-(ना०) छोटी चारपाई । खटिया। ढेलड़ीपत-(न०) १. दिल्लीपति । २. ढोलण-(ना०) १. ढोली का स्त्री। २. बादशाह ।
ढोली जाति की स्त्री। ढेलणी-दे० ढेलड़ी।
ढोलणो-(ना०) स्त्रियों के गले का एक ढेलू-दे० ढालू ।
गहना। ढेलो-(न०) मिट्टी, पत्थर आदि का टुकड़ा। ढोळणो-(क्रि०)१. किसी बरतन में से पानी ढेला।
आदि द्रव-पदार्थ को गिराना । उड़ेलना । ढेसो-दे० ढेपो।
२. चंवर को ऊपर हिलाना। चंवर ढणो-दे० ढहणो।
ढालना। ३. हवा डालना । (पंखे से) । लैवरणो-दे० ढहणो।
(पंखा) झलना। टैंकरणो-(कि०) १. गाय आदि पशुओं का ढोल-रो-ढमको-(न०) १ ढोल बजने का खाँसना । २. रंभाना ।
__ शब्द । २. ढोल पर नाचने का ताल । लैंचाळ-(न०) हाथी।
ढोळा-(नम्ब०व०) १. खुशामद । चापलूसी । ढोई (ना०) १. आश्रय । २. सहारा। २. झूठी 'हाँ' या स्वीकृति । ३. झूठा ढोप्रो-(न०) १. अाक्रमण । ढोवो । २.लूट । आश्वासन । ४. व्यर्थ महमानगिरी। ३. वजन । भार ।
ढोळा देणा-(क्रि०) १. हाँ में हाँ मिलाना । ढोकळी-(ना०) १. ढोकले का छोटा रूप। झूठी हाँ भरना । २. बिना काम महमान
२. एक व्यजन । (वि०) १. मूर्खा । गिरी करना । २. स्थूल व कुरूपा (स्त्रो)।
ढोळा-फोड़ो-(न0) ढोलने-फोड़ने का काम। ढोकळो-(न०) भाप से पकाई हुई एक ढोलारव-(न०) ढोल का शब्द ।
प्रकार की बाटी। बाफलो। (वि०) १. ढोळावणो-(क्रि०) दुलवाना ।
मूर्ख । २. कुरूप । ३. मोटा । जाड़ा। ढोळिया-दे० ढोळा । ढोगो-दे० ढोवरणो।
ढोलियो-(न०) पलंग । ढोर-(न०)गाय, भैस आदि चौपाया। ढोर। ढोली-(न०) १. ढोल बजाने वाली एक
पशु । डंगर । (वि०) १.मूर्ख । २.गॅवार। जाति । २. ढोल बजाने वाला। ढोर-चराई- (ना०) पशुप्रों को जंगल में ढोळं बैठणो-(मुहा०) १. पशु का खड़े नहीं
चगने का काम । २. पशुत्रों को जगल में हो सकने के रोग से ग्रसित होना । २. चराने का कर।
कमजोर हो जाना । ३. स्थिति का ढोर-डांगर-(न०) पशु । मवेशी ।
बिगड़ना।
For Private and Personal Use Only