Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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ज्याळ
(४२) ज्वाळ-(ना०) १. ज्वाला। २. प्राफत । ज्वाळानळ-(10) अग्नि । संकट।
ज्वालामुखी-(वि०) जिसके मुख में से ज्वाळ जंत्र-(न०) १. तोप । २. बंदूक । ( जिसके अंदर से ) अग्नि निकलती है । ज्वाळनळ-दे० ज्वाळानळ ।
(न०) १. वह पर्वत जिसके भीतर से ज्वाळा-(ना०) ज्वाला । अग्निशिखा । अग्नि, धुपा मोर पिघला हुआ पत्थर ज्वाळा देवी-(ना.) १. एक प्रसिद्ध देवी निकलता है। (ना.) १. एक देवी ।
जिनका स्थान कांगड़ा जिले में है । २. ज्वालादेवी। २. ज्वालामुखी तीर्थ । कोहकाफ पर्वत की एक देवी। ज्वाँई-(न0) जमाई । दामाद ।
झ-(न०) संस्कृत परिवार की राजस्थानी झकाझक-(वि०) १. साफ और चमकीला।
वर्णमाला के चवर्ग का चौथा व्यंजन । २. ताजा । बढ़िया । सुदर । झक-(ना०)१. मछली । २. सनक । खन्त ।
झकाळ-(ना०) व्यर्थ की बातें । बकवाद । ३. जिद । हठ । (वि०) उज्वल ।
झकाळियो-(वि०) व्यर्थ की बातें करने चमकीला।
वाला। झककेतु-(न०) कामदेव । झषकेतु ।
झकाळी-दे० झकाळियो। झकझक-(ना.) १. व्यर्थ की बकवाद ।
झकी-(वि०) १. हठी। जिद्दी । २. व्यर्थ ___ कहा-सुनी । २. हुज्जत । तकरार।
__की बातें करने वाला। झक झोरणो-१. जोर से हिलाना। २.
झकुड-(न०) मस्तक । प्रकुट । झटका मारना। झक मारगो-(मुहा०) १. व्यर्थ समय नष्ट झकोळरणो-(क्रि०) १. पानी, तेल मादि करना। २. अपनी बरबादी करना।
किसी तरल पदार्थ में किसी वस्तु को ३. सनकी बातें करना। ४. अव्यवहारी डुबा कर बाहर निकालना । २. पानी को बातें करना। ५. छलकपट की बातें इधर-उधर हिलाना। ३. पानी आदि में करना । ६. झूठा और व्यर्थ पाचरण किसी वस्तु को बार बार दुबाना-निका. करना।
लना। ४. धोना । प्रक्षालन करना । झकर-दे० झिकर।
५. जुबाना । ६. नहाना । ७. नहलाना। झकळ-झकळ-(अनु०) पानी को थपथपाने झकोळियो-(न०) मावश्यकता से अधिक का शब्द ।
पानी पड़ गया हो वह साग, तीवन झकळवाणी-(न०) वह द्रव व्यंजन ( साग
प्रादि। सब्जी, तीवन प्रादि) जिसमें जरुरत से झकोळो-(न०) १. स्नान । २. कम पानी ज्यादा पानी पड़ गया हो।
का स्नान । ३. प्रक्षालन । ४. दुबकी। झकळवाणो-दे० झकळवाणी ।
५. पानी का धक्का । ६. साग, तीवन झक वेधक-दे० झकवेधरण।
प्रादि वह वस्तु जिसमें आवश्यकता से झक-वेधण-(न०) अर्जुन
प्रधिक पानी पड़ गया हो।
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