Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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जाने वाला शब्द |
करणो - ( क्रि०) ऊंट को बिठाना ।
कारणो- दे०
भैरापी
टहनी को हिला कर पत्तो फलादि गिराना । खेरो । ३. बिलोना करना । ४. प्रहार करना | चोट करना । रापो - ( न०) १. प्रेमी की वियोग जनित हृदय वेधक स्मृति | २. वियोग जनित रुदन । ३. प्रेमी के वियोग में गाया जाने वाला लोक गीत | झुरापो । ४. वियोगजनित प्रलाप |
भेलरगो - ( क्रि० ) १ पकड़ना । थामना | हाथ में लेना । भेलना । २. गिरफ्तार करना | पकड़ना । ३. सहारा देना । ४. सहन करना ।
भेला - ( न०ब०व०) कामों का एक आभूषण । भेला भेली - ( ना० ) १. बच्चों का एक खेल । २. भेलने या पकड़ने की क्रिया । ३. खींचातान । ४. पकड़ा पकड़ी। लावरियो- (वि०) दे० लावरियो । लावणी - ( क्रि०) दे० झलावणो । तू - (वि०) जिम्मेवार | उत्तरदायी । * - ( अव्य० ) ऊंट को बिठाने के लिये बोला
कारणो ।
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वो - ( क्रि०)
( ४७६ )
को विलाना ।
पना |
परगो - ( क्रि०) भोक - ( न०)
१. शाबासी | वाहवाही । २. ऊंटनी का प्रसव । ३. ऊंटों का बाड़ा । ४. आक्रमण । ५. झुकाव । झुकने का भाव | ६. पिनक । ७. बैठे बैठे आने वाले नींद झपकी । ८. ढंग | तौर तरीका | ६. सुंदरता । शोभा । १०. चाल-चलन । ११. ऊँट । ( अव्य) एक
प्रशंसा सूचक शब्द | धन्य । वाह | भोकरियो - ( वि०) १. भट्टी में झोका देने वाला । २. युद्ध में प्रवर्त करने वाला । ३. संकट में डालने वाला । भोकरणी - (ना० ) ऊंटनी | भोकरणो - ( क्रि०) १. युद्ध में प्रवर्त होना ।
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भोको
२. युद्ध में प्रवर्त करना । ३. किसी वस्तु को जलाने के लिये प्राग में फेंकना । ४. किसी काम में अंबाधु खर्च करना । ५. किसी को संकट की स्थिति में ढकेल देना | ६. कठिन काम में लगा देना । ८. ऊंटनी का प्रसव
७. धन्यवाद देना ।
होना ।
झोक देखो - ( मुहा०) १. ऊंटनी का प्रसव होना । ऊंटनी का बच्चा देना । २. धन्यवाद देना । शाबासी देना ।
झोकाई - ( वि०) १. सेना को युद्ध में झोंकने वाला । २. प्राक्रमणकारी । ३. वीर । बहादुर । पराक्रमी । ४. लुटेरा । ५. साहसी । हिम्मत वाला । ६. झोका देने
वाला ।
झोकाऊ - दे० झोकाई ।
फोका खाणो- (मुहा० ) १. नींद या नशे में (बैठे हुए की) गरदन झुकता | बैठे बैठे नींद लेना । २. इधर उबर हिलना । झोकारण - ( न० ) १. व्यवस्था । २. दशा । अवस्था । ३. किसी वस्तु या घर ग्रादि का भला या बुरा रहन-सहन का ढंग । ४. ऐसे रहन-सहन या ढंग का दृश्य | ४. तौर-तरीका । रूप रंग । ६. चाल
चलन ।
झोका देणो- (मुहा०) ग्रग्नि को प्रज्वलित रखने के लिये ( भड़भूजे या रंगत का काम करने वालों की ) भट्टी में डंठल या झुरमुट डालते रहना ।
झोकायत - ( न०) १. ग्रक्रमणकारी । २ः
लुटेरा । ( वि०) १. वीर । २. साहसी । झोका लेगो - (मुहा०) बैठे बैठे मींद लेना ।
बैठे-बैठे झुकझुक कर नींद लेना । कोको - (न०) १. अधिक ज्वाला प्रज्वलित
करने के लिये भट्टी या भाड़ में डाला जाने वाला तृण-समूह । २. तृणसमूह से भट्टी या भाड़ में उत्पन्न होने वाली तेज
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