Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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टहरको
( ४८२ )
२.
टहरको - ( न०) १. नखरा । नाज । बनावटी चेष्टा । ३. व्यंगपूर्ण बात । ताना | व्यंग्य । ४. गर्वपूर्ण बनावटी कोमल चेष्टा । ५. अभिमान । गर्व । ६. नाराजी | नाराजगी । ७. रोस । क्रोध । टहल - ( ना० ) १. चाकरी । सेवा । २.
भ्रमण | विहार |
टहलरणो - ( क्रि०) भ्रमण करना । फिरना ।
घूमना । चहल कदमी करना । टहल - बंदगी - ( ना० ) सेवा । चाकरी । टहलियो - (To) सेवक । हाजरियो । टहल
करने वाला ।
१. मोर या कोयल का
हो दे० टहलियो । टहूकरणो - ( क्रि०) बोलना । २ दूरस्थ व्यक्ति को बुलाने के लिये तेज व तीखी आवाज से पुकारना । टहूको - ( न०) १. मोर या कोयल की आवाज । २.केका । ३. दूरस्थ को बुलाने के लिये की जाने वाली लंबी ऊंची
आवाज ।
टंक - ( न० ) १. समय । २. वार । दफा ।
३. भोजन का समय । ४. एक बार का भोजन । ५. एक बार के भोजन की संज्ञा । ६. विवाह मौसर आदि में दिया जाने वाला एक बार का भोजन । ६. चार माशे का एक तौल ।
टंक अढार दे० अढार टंकी ।
टंकरण - (To) १. सुहागा। टंकन । टंकरण
क्षार ।
पर यंत्र या ठप्पे ग्रादि की सहायता
छाप लगाकर सिक्के बनाने का कार्यं । ३. टाइप राइटिंग |
टंगियोड़ो
टंकाई ( ना० ) १. टाँकने की मजदूरी । २. टाँकने की क्रिया या भाव। टंकाउळि - दे० टंकावळ ।
टंकार - ( न०) १ टन टन ( टं टं ) शब्द | २. धनुष की प्रत्यंचा की ध्वनि । टंकारणो - ( क्रि०) १. धनुष की डोरी को खींच कर छोड़ने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि । ३. टं टं शब्द करना । टंकारव - ( ना० ) १. धनुष की प्रत्यंचा की ध्वनि । धनुष की डोरी खींचने से उत्पन्न शब्द । २. टकार । टंकार ध्वनि । टंकारी दे० टंकार ।
टंकी - ( ना० ) १. पानी, तेल इत्यादि भरने का
बरतन या कुंड । कुंडी । २. भारी धनुष । टंकेत-(वि०) १. टंक वाला । २. चिह्नित । ३. जबरदस्त ।
टंकोटक - ( श्रव्य० ) १. नियत समय पर । २. योग्य समय । समय पर । ३. प्रत्येक टंक पर ।
टंकोर - ( ना० ) ध्वनि । आवाज ।
२. चाँदी, तांबे श्रादि घातु-खंडों टंकोरो - ( न० ) टकोरा । घंटा । घड़ियाल ।
झालर ।
टंकणखार - ( न० ) सुहागा । टंकरण यंत्र - ( न०)
एक ग्राधुनिक लेखनयंत्र | टाइप राइटर । टंकसाळ - दे० टकसाळ | टंकसाळी-दे० टकसाळी ।
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कावळ - (वि०) १. बहुत लड़ियों (श्रेणियों) वाला (टणका + अवली ) और कीमती । २. चार लड़ियों वाला । ( टंक + अवली)
( न० ) १. बड़ा और बहुमूल्य कंठाभरण । २. एक प्रकार का हार । टंकावळ हार - ( न० ) १. चार लड़ी का हार । २. बहुमूल्य कंठाभरण ।
टंग- दे० टाँग ।
टॅगड़ी-दे० टाँगड़ी |
टँगो - ( क्रि०)
टँगा जाना |
गावरण - ( क्रि०) १. लटकाना । टंगवाना | टंगियोड़ो - (भू०का०कृ०) टँगा हुआ | लटका हुआ ।
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१. टँगना । लटकना । २.