Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( ४६६ )
देना । ५. मंद प्रकाश देना । ६. बिजली का चमकना । ७. रह-रह कर प्रकाश फैलना । ८. चमकना । भबकारो - दे० भबको । भबको - (०) १. मंद प्रकाश । २. अंधेरे
झमझमाट - (न०) १. झमझमाहट । समः छमाहट । २. हलकी जलन । थोड़ी जलन । भमरी - ( ना० ) लकड़ी की डंडी में घोड़े की पूछ के बालों का गुच्छा या कपड़े को बाँध कर बनाया हुआ मक्खियां यादि उड़ाने का एक उपकरण । चमरी । भमरो - (न०) पत्तों सहित वृक्ष की पतली टहनी ( प्रायः नीमकी) । झमाळ - ( न०) १. एक डिंगल छंद । २. स्वनाम संज्ञक डिंगल काव्य ।
में क्षणिक प्रकाश । ३. श्राभास । झलक । ४. प्रकाश । ५. प्रकाश की चमक । कौंध 1 भबभब - ( ना० ) थोड़ा-थोड़ा चमकना । सब
शबाट ।
भबभबाट- दे० भबभब |
बबी - ( ना० ) स्त्रियों के पहिनने का एक झमेलो - ( न० ) १. टंटा । बखेड़ा | भंभट | गहना । २. दिक्कत । श्रड़चन । ३. समझ में नहीं आने जैसी बात । ४. पेचीदा काम ।.. भरभर कंथो- (न०) जीणं श्रौर फटा हुआ वस्त्र । बहुत पुराना वस्त्र । भरभरी - ( ना० ) जस्ते की बनी सुराही । भरड़ - ( ना० ) १. कपड़ा फाड़ते समय होने
वाली आवाज । २. खरोंच । झरड़को- (न०) १. खरोंच । २. बिलौने के
भटके को श्रावाज । ३. कपड़ा फाड़ते समय होने वाली प्रावाज । भरड़ो - (न० ) १. खरोंच । २. एक लोक देवता । बांडो सरड़ो ।
भरड़ोज़ी - ( न०) एक लोक देवता । बांडो हरड़ो ।
भररणाटो - ( न०) १. सहसा झनझन होने
बाला शब्द । नाटा |
झरणो- (न० ) प्रपातः । झरना + सोता ( क्रि०, भरना | टपकना । भवित होना । भरमर - (न०) १. वषों की फुहार । बूंदाबूंदी । २. वर्षा की ध्वनि । ३. जर्मन सिलवर नामक धातु । भरूखो-दे० झरोखो ।
झबरक - (वि०)खूब प्रकाशमान । तेज प्रकाश देने वाला ।
झबरकरणो - ( क्रि०) १. फहराना । २. दिखना । ३. चमकना । प्रकाश देना । भवळकरणो - ( क्रि०) १. घड़े आदि बरतन के
हिलने से उसके अंदर के पानी का हिलना । २. इस प्रकार हिलने से शब्द का होना । ३. उछलना । फुदकना । झबूकड़ो - (To) बिजली की चमक । कौंध । बूकरणो - ( क्रि०) १. चमकना । प्रकासना । २. बिजली का चमकना । कौंधना । भबूकना । ३. दिखाई देना । बोळणी - ( क्रि०) १. वस्त्रादि को पानी में सुबाना । २. पानी में डुबा कर निकालना । १. किसी तरल पदार्थ में किसी वस्तु को बाकर तरबतर करना । झबोळो-(न०) पानी प्रादि तरल पदार्थों में डुबाने या डबने की क्रिया । डुबकी। डोड । झमकरु.- (ना०) १. एक एक शब्दालंकार । यमक । २. नाच की एक गति । तीव्र गति का नाच । ३. नखरा । ४. पाजेब या घुघरू का शब्द | झनकार | ५. नखरे की चाल । ठमक | ६ चमक । प्रकाश । ७. बिजली । ८. एक वर्णवृत्त ।
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झरो - (न०) छेदों वाला बड़ा छिछला कलछा जिससे कड़ाही में से तली जाने वाली पूरियाँ, सेवें प्रादि निकाली जाती हैं ।
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