Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( ४७२ )
झाँझ
छोटी उपजाऊ भूमि । शाद्वल । नखलिस्तान । मरुद्वीप | झाँझ-(न०) बड़े मंजीरों की जोड़ी । ताल ।
करताल ।
झाँझर-(ना०) चलने के समय मधुर ध्वनि करने वाला स्त्रियों के पाँवों का एक गहना । पाजेब | पैंजनी । झाँझरको दे० जाँभरखो ।
झाँझरिया - (न०ब०व०) बच्चे के झांझर |
छोटे झांझर ।
झाँट - (न०) १. उपस्थ - कच । गुह्यंद्रिय के बाल | घुसो घुहो । ( वि०) तुच्छ । झाँटो - (न०) १. कलह । २. झगड़ा । झाँटोलियो- (वि०) तुच्छ ।
अत्यन्त
निकम्मा | हलका |
झाँप - ( ना०) १. कुदान । छलांग । २. झपट | ३. खोसने की क्रिया या भाव। झाँप लेगो - ( मुहा० ) छलांग मारना । झाँपो - (न०) १. झोंपड़ा । २. घर । ३.
झोंपड़े या बाड़े का द्वार । ४. द्वार । दरवाजा । ५. फाटक ।
झाँयाँ देणी - ( मुहा० ) चिढ़कर बोलना । क्रोध में बोलना ।
झाँवळा - (न०) आँखों से कम दिखने का एक रोग । यदा-कदा रंग-बिरंगी लहरें दिखने का एक रोग | झाँस - ( ना०) झाड़ी । झाँसो- ( न०) धोखा । झाँसा झिकर - ( ना० ) १. जिक्र । कथन । वात
चीत । चर्चा । २. व्यर्थ की बातचीत । झिकाळ - ( ना० ) व्यर्थ या अधिक बोलने या
बातचीत करते रहने का भाव । बकबाद | झकाळ
भिकाळियो- (वि०) बहुत बोलने वाला |
बकवादी । बाचाल । भिकाळी- दे० भिकाळियो । भिखरगो - ( क्रि०) १. चमकाना । २. शोभा
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झिल्ली
देना |
झिझक - ( ना० ) १. संकोच । हिचक । २. लज्जाजनित संकोच । ३. लज्जा । ४. भय । ५. संकोच ।
झिड़करणो - ( क्रि०) १. डाँटना | फटकारना । २. तिरस्कारपूर्वक बात करना । झिड़की - ( ना० ) डांट भिरण - ( ना० ) छाछ । झंगो । झिरमटियो - ( न०) १. बालिकाओं का एक
फटकार ।
नृत्यमय खेल । २. बालिकाओं का एक लोक गीत ।
झिरमिट दे० झिरमटियो ।
झिरी - ( न० ) १. लकड़ी - पत्थर आदि की बनी हुई किसी सपाट वस्तु के किनारे पर कुरेदी हुई लंबी लकीर । २. दरज । दरार । ३. किनारी । हाशिया । ४. एक रोग । ५. भट्टी ।
झिलरगो - ( क्रि०) १. प्रकाशित होना । २. शोभा देना । फबना । ३. प्रकाश देना । ४. समृद्ध होना । ५. भर जाना । पूर्ण होना । ६. ग्रहण लगना । फिलम - ( ना० ) १. कवच के ऊपर गले और कंधों को ढके रहने वाली लोहे की दुहरी कड़ीदार जाली । २. युद्ध के समय गरदन, मुख और कंधो पर बाँधने की लोहे की जाली ।
फिलम टोप - ( न०) झिलमयुक्त टोप | वह शिरत्राण जिसके नीचे गरदन और कंधों की रक्षा करने वाली जाली लगी रहती है । फिलम और टोप | झिलमिल - ( न० ) १. हिलता हुआ प्रकाश । अस्थिर प्रकाश । २. शोभा यात्रा का एक लवाजमा ।
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झिल्ली - ( ना० ) १. प्रति सूक्ष्म चमड़ा । पतला चमड़ा । २. ऐसी पतली चमड़ी या तह जिसमें होकर दूसरी ओर की वस्तु दिखाई पड़े ।