Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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जमीरत
(४२८)
जैरकावणो जमीरत-(ना०) १. जागीरी। २. सेना। जय रामजी री-दे० जय श्री रामजी री।
३. अधिकार । कब्जा। दे० जमीयत। जयवारो-दे० जैवारो।. जमो-(न0) किसी लोक देवता के निमित्त जय श्रीकृष्ण-(पद०) 'जय श्रीकृष्ण' बोल
भजन कीर्तन करने को किया जाने वाला कर किया जाने वाला अभिवादन । सामूहिक रात्रि जागरण । रात्रि जागरण जय श्री रामजी-री-(पद०) हाथ जोड़कर के लिये जमा होना। रात्रि-गायन का
या गले मिलकर किया जाने वाला जमाव ।
प्रणाम । मेंट या प्रस्थान का अभिवादन । जय-(ना०) १. जीत । विजय । २. देवता, प्रणति । 'श्री रामजी की जय' उद्गार
गुरु या राजा मादि के अभिवादन स्वरूप कर किया जाने वाला अभिवादन । उनके नाम के साथ किया जाने वाला जय समंद-(न०) मेवाड़ की एक विशाल घोष शब्द । जैसे-'सियावर रामचंद्र री झील। जय' । ३. परस्पर अभिवादन के समय जयंती-(ना०) १. किसी महापुरुष की जन्म किसी देवता के नाम के साथ कहा जाने
तिथि । २. जन्म दिन को होने वाला वाला शब्द । जैसे-'जय रामजी रा सा'।
उत्सव। 'जय माताजी री सा' इत्यादि ।
जया-(ना०)१.दुर्गा । २. पार्वती । ३.दूर्वा । जय गोपालजी री-(पद०) एक अभिवादन
जयानक-(न०) 'पृथ्वीराज विजय' का अव्यय तथा पद ।
__ रचयिता पुष्कर निवासी एक कवि । जय जयकार-दे० जै जै कार ।
जर-(ना०) १. धनमाल । २. सोना। ३. जय जयवंती-(ना०) एक रागिनी।
ज्वर । ४. बुढ़ापा । ५. तरल पदार्थ को जय जंगळधर-(पद०) बीकानेर के राठौड़
__छानने का अनेक छिद्रों वाला कटोरीनुमा राजाओं की उपाधि या विरुद । २.
एक पात्र । झरनी। सर । बीकानेर राज्य का मुद्रा लेख।
जरक-(ना०) चोट । आघात । जरब । जयजीव-(न०) 'जय हो' और 'दीर्घायु हो'
जरकरणो-(क्रि०) १. भय खाना । डरना । ___ इस अर्थ का अभिवादन ।
२. चोट लगना। ३. चोट लगाना । ४. जयरणा-(ना०) यत्न । सम्हाल । जतन ।
पीटना । मारना । ५. गिरना । जयतखंभ-दे। जैतखंभ।
जरकसी-(वि०) जिस पर जरी का काम जयति-(प्रव्य०) जय हो।
किया हुआ हो । जरी बाला । जरीदार । जयपुर-(न०) राजस्थान की राजधानी के शहर का नाम । जयपुर नगर । महाराजा
जरकाणो-(क्रि०) खूब अधिक पिटाई जयसिंह द्वारा बसाया हुआ भारत का
__ करना । बहुत अधिक मार मारना । सुन्दरतम नगर।
जरका-बोलो-(वि०) १. कर्कश बोला। जय मंगळ-(न०) १. राजा के बैठने के कर्कश बोलने वाला। कठोर शब्दों का हाथी । २. श्रेष्ठ हायी। ३. एक विशेष उच्चार करने वाला। २. मन को घोड़ा।
अघात पहुँचाने वाले शब्दों द्वारा बात जय माताजी री-(अव्य०) शक्ति उपासकों करने की आदत बाला। (ना० जरका
द्वारा किया जाने वाला अभिवादन । बोली ।) जयमाळ-दे० जैमाळ ।
जरकावरणो-दे० जरकाणो ।
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