Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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उठाड़णो
( १४१) उठाड़णो-(क्रि०) दे० उठावणो। उडगण-(न०) तारा समूह । उठाणो-(न०) दे० उठामणो। (क्रि०) उडगाण–दे० उडगरण। १. उठाना । खड़ा करना । २. सोते हुए उडणखटोलो-(न०) उड़नेवाला खटोला । को जगाना । ३. धारण करना । लेना। विमान । ४. ऊपर करना। ५. ऊंचा लेना । उडणो–(क्रि०) १. पक्षी, टिड्डी, कीट प्रादि ६. दूर करना।
का प्राकाश में विचरण करना। २. उठामणी-दे० उठांतरी । दे० उठामणो। विमान का आकाश में दौड़ना । ३. पंतग, उठामणो-(न०) १. मरे हुए का शोक । गुड़ी, गुबारा आदि का आकाश में ऊपर
मनाने को तापड़ डालकर (बिछायत उठना । ४. ध्वजा, झंडे आदि का करके) बैठे रहने की क्रिया को समाप्त फहराना । ५. तेज भागना । ६. रंग का करने की विधि । २. मृतक के शोकार्थ फीका पड़ना । ७. गायब होना । बैठक की समाप्ति । तापड़ की समाप्ति । ८. इधर-उधर हो जाना। ६. छलांग ३. शोकार्थ-बैठक की समाप्ति के समय मारकर पार हो जाना। १०. सुरंग के स्नेही-संबंधियों का मृत व्यक्ति के यहां जोर से पत्थरों का ऊंचा जाकर दूर जाने की क्रिया ।
गिरना । ११. तेजी से शस्त्र का चलना। उठाव-(न०) १. किसी वस्तु का उठा १२. वायु के प्रवाह से वृक्षों के पत्तों का हुआ भाग । २. उठाने या उभराने का हिलना । (वि०) उड़नेवाला। काम । ३. दिखावा । ४. प्रारंभ । शुरू- उडगो-प्रणो-(न०) एक ही दिन में टोडा आत । ५. माल की बिक्री । खपत। और जालोर को विजय कर लेने के
६.खर्च । व्यय । ७. गूजायश । समाई। उपलक्ष में प्राप्त किया गया चित्तौड़ के उठावरणी-दे० उठामणी ।
राणा रायमल कुभावत के पुत्र पृथ्वीराज उठावणो-दे० उठामणो । (क्रि०) की अद्भ त वीरता का विरुद । दे० असंख१. उठाना । खड़ाकरना । २. उठवाना ।। प्रवाई-जैतवादी। खड़ा करवाना । ३. सोते हुए को जगाना। उडतो तीर-(न०) जान-बूझ कर सिर पर ४. ऊंचा करना। ५. लेना। धारण ली हुई आफत । करना।
उड़द-(न०) एक द्विदल अन्न । उरद । उठावो-दे० उठाव ।
माष । उठाँतरी-(ना.) १. चले जाने का भाव । उड़दा वेगम-(ना०) १. नर वेश में रहने गमन । २. बरखास्तगी । मौकूफी । वाली मुसलमान बादशाह की दासी। ३. बदली। स्थानान्तर । ४. चोरी। उर्दूबेगम । २. उद्दड स्त्री। ५. चापलूसी। ६. उठाईगिरी। उड़दा बैंगरण-दे० उड़दा वेगम । (वि०) उठी-(क्रि०वि०) उधर । वहाँ । उस पोर। मूर्ख । । उठे-(क्रि०वि०) वहाँ । उधर ।
उड़दावो-(न०) घोड़ों का एक खाद्य । उड़क-दुड़कियो-(वि०) १. कभी इस घोड़ों की लापसी।
पक्ष में और कभी उस पक्ष में रहने वाला। उड़दी-(ना०) वरदी । सरकारी वेशभूषा । पक्ष पलटू । २. दोनों पक्षों में रहनेवाला। उड़दू-(ना०) १. फारसी लिपि में लिखी ३. अविश्वसनीय ।
जाने वाली एक यावनी भाषा। उर्दू ।
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