Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चढ-उतार ( ३५८ )
चणणाट चढ-उतार-(वि०) १. गावदुम । २. चढ़ाई. चढाकू-दे० चढाक । २. सवारी करने
उतराई । ३. ऊंचाई और ढलाई । के लायक उम्र का (ऊंट, घोड़ा) सवारी चढण-सितवारण-(न0) इन्द्र ।
योग्य । चढाऊ । चढणो-(क्रि०) १. नीचे से ऊपर को जाना। चढाचढ़ी-(ना०) प्रतिस्पर्धा । होड़।
चढ़ना। २. प्रस्थान करना। ३. हमला चढाण-(ना०) १. चढ़ाई । २. ऊंचाई। करना। ४. उन्नति करना। ५. सवार चढारणो-(क्रि०) १. नीचे से ऊपर की ओर होना । ६. कर्ज होना । कर्ज बढ़ना । ७. ले जाना । चढ़वाना । २. चढ़ने में प्रवृत्त नदी, तालाब आदि के पानी का बढ़ना । ___ करना । ३. देवताओं को अर्पण करना । ८. सेवन किये हए मादक पदार्थ का नशा
४. सवारी कराना । ५. मॅगेतर को वस्त्र होना। ६. पदवृद्धि होना । १०. अर्पित और आभूषण पहिनाने की प्रथा को होना । किसी देवता को किसी वस्तु की मनाना । ६. हँडिया, तवा आदि पात्र को मेंट धरा जाना। ११. पकाने के लिए चूल्हे पर रखना । ७. बही या रजिस्टर पात्र का चूल्हे पर रखा जाना। १२. __में दर्ज करना। ८. लेप, रंग मुलम्मा मोल बढ़ना । भाव बढ़ना । १३. जोश में आदि का प्रावरण करना । चढाबरणो । आना । १४. लेप, रंग, मुलम्मा आदि का चढापो-दे० चढावो। आवरण होना।
चढाव-(न०) १. पर्वत या भूमि के किसी चढती-(ना०) १. उन्नति । उत्थान । भाग की उत्तरोत्तर ऊंचाई । चढ़ाई । २. बढोतरी।
२. समुद्र के जल का बढ़ाव । ज्वार । चढती-पड़ती-(ना०) उन्नति-अवनति । ३. नदी आदि के पानी का बढ़ाव । उत्थान-पतन ।
चढावरणो-दे० चढाणो । चढतो-(वि०) १. तुलना में बढ़ा हुआ। चढावो-(न०) १. देवता को अर्पण किया
२. बढ़ा चढ़ा हुआ। ३. उदीयमान । हुप्रा रुपया-पैसा, गहना , वस्त्र इत्यादि ४. अधिक । ज्यादा।
सामग्री । २. देवता को अर्पण किया हुआ चढतो आँक-(न०) संख्या का अगला अंक नैवेद्य । प्रसाद । ३. व्यापारी द्वारा वस्तु
शून्य में अशुभ समझा जाता है इसलिये पर उसके वास्तविक मूल्य से अधिक उसमें जोड़ी जाने वाली '१' की संख्या। मूल्य अंकित करने अथवा मूल्य के आगे जैसे ५००) के स्थान पर ५०१) इसी प्रकार और फालतू अंक बढ़ा देने का संकेत । सभी शून्याग्र संख्याओं में । तीखो प्राँक । ४. बढ़ावा । उत्साह । ५. बहकावा । चढाई-(ना०) १. हमला । आक्रमण । २. चढी-रो-पलाण-(न०) ऊंट पर कसी जाने
पर्वत या भूमि का वह भाग जो क्रमशः वाली सवारी की काठी । सवारी का ऊंचा हो । ऊंचाई की ओर जाने वाली पलान ।
भूमि । ३. ऊंचाई । ४. चढ़ने की क्रिया। चरणक-दे० चिणक । चढाऊ-(वि०) १. सवारी योग्य । २. तुलना चरणखार-न०) चने के क्षुप को जला कर
में चढ़ता हुआ। ३. क्रमशः ऊंची होती निकाला हुया क्षार । चनकक्षार । _हुई भूमि । ४. चढ़ने वाला।
चरणगाट-(न०) १. तमाचा, बेंत आदि के चढाक-(वि०) ऊंट, घोड़े आदि सवारी में लगने से होने वाला दर्द । २. एक ध्वनि । कुशल । चढाकू।
३. नाश ।
For Private and Personal Use Only