Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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पूरी
(३८) चूरी-(ना०) १. नमक, मिर्च और घी मिला चवरणो-(क्रि०) टपकना । चूना। रिसना । हुमा पापड़ का चूर्ण । २. बारीक चूरा। चूसणो-(क्रि०) १. किसी वस्तु के रस को भूकी।
__ मुंह से सुड़क-सुड़क कर खींच लेना। चूरी भाटो-(न०) शीघ्र पिस जाने वाला चूसना। २. मनुचित रूप से किसी का एक मुलायम पत्थर । घीया पत्थर। धीरे धीरे माल-मत्ता हड़प कर जाना । संगेजराहत । माखरिणयो भाटो। घीयो। चूहो-(न०) चूहा । मूषक । ऊदरो। चूरो-(न०) चूर्ण । चूरा । बुरादा । भूको। चू-(न०) १. चिड़िया या चूहे के बोलने चूर्ण-दे० चूरण।
___ का शब्द । २. बहुत धीमा शब्द । 'चू' चूर्णी-(ना०) १. पाणिनि के सूत्रों का शब्द । चूकारो । पतंजलि द्वारा किया हुआ महाभाष्य। चूंक-(ना०) १. कील । २. स्त्रियों के दाँतों २. कठिन पदों की व्याख्या बताने वाली का एक आभूषण । ३. पेट का तीव्र पुस्तक । चूरिणका । ३. कविता का गद्य दर्द । पेट की ऐंठन । मरोड़। में लिखा हुआ सार । ४. कठिन पदों की चुकलो-(न०) १. शस्त्र की नोक । २. व्याख्या।
___ नोक का प्रहार। चूळ-(ना०) १. कील । २. कूल्हे की हड्डी।
चूकारो-(न०) 'चू' शब्द । बहुत धीमा
- चूलड़ी-(ना०) १. लोहे का बना छोटा
__ शब्द । चूल्हा । २. अंगीठी । बोरसी । गोरसी।
चूखो-(न०) १. रूई, ऊन आदि का छोटा चूला लाग-(न०) प्रति चूल्हे के हिसाब से
पहल । २. छितराये हुए बादलों में का लिया जाने वाला एक कर । धुपावराड़।
छोटा बादल । ३. निर्मल आकाश में चूलावराड़-दे० चूला लाग ।
छोटा बादल। चूळियो-(न०) १: बिना कब्जों वाले किंवाड़
चूगटियो-(न०) चुटकी से चमड़े को ऐंठने के ऊपर नीचे लगने वाला लोहे का एक
की क्रिया। चूटियो। नौकदार भाग। नीचे का भाग एक लोहे की
गणो-दे० चूघणो। ऊखली में और ऊपर का भाग एक लोहे के कड़े में लगा रहता है। किंवाड़ के वे
चूंगथरणा-(नम्ब०व०) १. स्तन । बोबा ।
चूंगथयो-(न०) दुधमुंहा बच्चा। नकूसे जिनके सहारे किंवाड़ खड़ा रहता है, खुलता है तथा बंद होता है। २.
चूंगी-(ना०) १. नगर में आने वाले माल
५ कूल्हा ।
पर लगने वाला महसूल । आयात कर । चूळियो उतरणो-(मुहा०) १. कूल्हे की २. कर ।
हड्डी का खिसक जाना। २. ऊखली में घणो-(क्रि०) स्तनपान करना । बोबो ... से किंवाड़ के चूलिये का निकल जाना। धावणो। चूले में जाणो-(मुहा०) नष्ट-भ्रष्ट होना। चूघाणो-दे० चूघावणो । चले में पड़णो-(मुहा०) नष्ट-भ्रष्ट होना। चूघावणो-(क्रि०) स्तनपान करवाना । चूलो-(न०) मिट्टी, इंटें आदि का बना एक बोबो धवाणो ।
उपकरण जिसमें लकड़ियां और कंडे चूंच-(वि०) १. नाराज । अप्रसन्न । २. __जलाकर उस पर भोजन पकाया जाता है। क्रोधित । ३. जोशपूर्ण । (ना०) १. चूल्हा।
चूचदार पगड़ी की चूंच । २. चोंच । चूलो बळणो-(मुहा०) भोजन बनना। चांच । ३. जोश । आवेश । ४. गवं ।
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