Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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चोटियो
पिशाचनी । (वि०) १. खुले केशों वाली। एक छंद जिसकी प्रत्येक पंक्ति में १६ २. चोटीवाली।
__ मात्राएँ होती है । चौपाई । चउपई। चोटियो-(न०) १. राजस्थानी दोहे का एक चोपाळ--(ना०) गाँव के लोगों के पंचायत
प्रकार । २. एक डिंगल गीत । ३. मुरट करने को बैठने की खुली जगह । घास की ढेरी।
चोफकेर-(अव्य०) चारों ओर । चारू मेर। चोटी-(ना०) १. चोटी । शिखा । २. वेणी। चोतरफ । ३. पर्वत-शिखर । ४. नारियल के ऊपर चोफाड़-(वि०) चार भागों में चीरा हुआ। का तंतु-समूह । नारियल की जटा । ५. चोफाड़ो-दे० चोफाड़ । मोर, मुर्गे आदि पक्षियों के सिर की चोफूली-(ना०) १. एक आभूषण । २. कलगी।
आक के फूल के अंदर का भाग । चोटी वढियो-(न०) वह व्यक्ति जो अपनी चोफेर-दे० चोफकेर । चोटी कटवा कर जागीरदार का वशवर्ती चोफेरी-(ना०) राजपूतों में सुहाग रात को और विश्वासु कर मुक्त (लाग-लगान मनाया जाने वाला उत्सव (अव्य०) रहित) प्रजाजन बनता था। २.मुसलमान। चारों ओर । (वि०) चोटी कटा हुआ । चुटिया चोब-(ना०) १. तंबू या शामियाने के बीच रहित ।
का काष्ठ का बड़ा खंभा । तंबू को खड़ा चोटीवाळो-(वि०) जिसके चोटी हो ।
करने का थंभा। ढोल या नगाड़े को (न०) हिन्दू ।
बजाने का डंडा । ३. सोने, चाँदी से मढ़ा
हुमा एक डंड जिसे चोबदार राजा या चोटीवाळो तारो-(न०) धूमकेतु । पुच्छल ।
मठाधीशों के आगे लेकर चलता है। तारा । पूछल तारो।
आसा । पासो। ४. शाक-सब्जी के पौधे चोटी हाथ में होणो-(मुहा०) कब्जे में
को उखाड़ कर दूसरी जगह लगाने की होना।
क्रिया । रोप। चोडोळ-(म०) १. हाथी । २. पालकी। चोबचीणी-(ना०) एक काष्ठौषधि । चोप-(ना०) १. सेवा । भक्ति । २. श्रद्धा।
चोबचीनी। ३. चाव । उमंग । ४. इच्छा । (क्रि०वि०) चोबणो-(क्रि०) पौधे को एक जगह से श्रद्धा पूर्वक ।
उखाड़ कर दूसरी जगह लगाना । रोपरणो। चोपई-दे० चोपाई।
२. डाम देना। चोपड़-(न०) १. घी, तेल आदि स्निग्ध गोवा
व चोबदार-(न०) १. छड़ी दार । प्रासाबरपदार्थ । २. घी। घृत।
दार। २. नकीब । ३. दरबान । द्वारपाल । चोपड़णो-(क्रि०) १. चपाती के ऊपर घी ,
चोभणो-(क्रि०) १. रोपना । खोंसना । फैलाना । चुपड़ना। २. किसी वस्तु के
२. शाक सब्जी के पौधों को उखाड़ कर ऊपर घी-तेल आदि स्निग्ध पदार्थ को
दूसरी जगह ले जाना। ३. तेल में रुई फैलाना । ३. पोतना । लीपना । चुपड़ना। भिगोकर गरम गरम सेंकना । ४. चुभाना। चोपड़ो-(न०) १. कुकुम, चंदन, अक्षत चोर-(न०) १. चोरी करने वाला । तस्कर।
आदि मांगलिक वस्तुएँ रखने का एक २.एक प्रकार की नर मक्खी जो मक्खियों पात्र। .
की शत्रु होती है । (वि०) प्रांतरिक भावों चोपाई-(ना.) चार पंक्तियों (चरणों) का को छिपाने पाला।
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