Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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चौरंगी ( ३६८)
छहावना ५. चार अंग। (वि०) कटे हुये हाथ चौसठ-(वि०) साठ और चार । (10) पांवों वाला । चौरंगा।
चौसठ की संख्या । '६४' चौरंगो-(वि०) १. कटे हुये हाथ पांवों चौसठ जोगणी-(ना०) १. योगिनियों के
वाला । चौरंगा । २. चार रंगों वाला। चौंसठ प्रकार । २. चौंसठ जाति की चौराणुनो-(न०) चौरानवाँ सम्वत् । योगनियाँ । ३. चौंसठ योगिनियों का चौराण-(न०) चौरानवे की संख्या । समूह ।
'६४' । (वि०) नब्बे और चार। चौसठो-(न०) सम्वत का चौंसठवां वर्ष । चौरासिया-ठाकर-(न०)१. चौगसी गांवों चौसर-(ना०) १. चतुर्दिक । चारों दिशाएँ।
का जागीरदार । २. वड़ा जागीरदार। २. चौपड़ । ३. चौपड़ की बिसात । ४. चौरासियो-(न०) सदी का चौरासीवां सफेद दाढ़ी मूछे। (वि०) चार लड़ वर्ष ।
वाला । (क्रि०वि०) चारों ओर । चौरासी-(वि०) १. अस्सी और चार। चौसर गाहा-(ना०) एक गद्य छंद । (न०) १. चौरासी की संख्या । '८४' चौसरा-(न०) १. दाढी-मूछ के सफेद बाल । २. चौरासी लाख योनियां। ३. चौरासी वृद्धावस्था के श्वेत बाल । २. आँसू । गांवों की जागीरी। ४. चौरासी गाँवों चौसरो-(न०) १. फूलों का हार । २. चार का समूह ।
लड़ी का हार । ३. चौलड़ा । ४. चद्दर । चौरासी सिद्ध-(न०) चौरासी प्रकार के ५. आँसू । अश्रुधारा।
चौसाको-(न०) चार कटोरों वाला साग सिद्ध महात्मा।
परोसने का पात्र । चौरिसिया-(न०) ब्राह्मणों की एक अल्ल। चौसी-दे० चौसीरी। चौलड़ो (वि०) १. चार लड़ियों वाला।
चौसीरी-(ना०) १. चार भाइयों की हिस्से
3 २. चार तहों वाला।
दारी। २. चार हिस्से । (वि०) १. चार चौलावो-दे० चौतीणो।
हिस्सों का । २. चार हिस्सेदारों का । चौवटियो-(न०) १. चौहट्ट का कर वसूल चौसीरो-दे० चौसीरी। करने वाला। २. चौहट्ट का पंच । ३. मानी। गांव का पंच । ४. चौहट्टा ।
चौहटो-(न०) चौहट्टा। चौवटो-(न०) १. चौहट्टा । चौराहा । २. चौहत्तर-(वि०) सत्तर और चार । (न०) बाजार।
चौहत्तर की संख्या । '७४' चौवड़ो-(वि०) १. चौहरा । चौगुना । २. चौहाण-(न०) क्षत्रियों की एक शाखा । चार परत वाला।
चौहान क्षत्री। चौविहार-(न०) सूर्यास्त के बाद भोजन च्यवन ऋषि-(न0) एक प्राचीन ऋषि ।
नहीं करने का जैन धर्म का एक नियम । च्यार-(वि०) चार। चौवीस-दे० चौबीस ।
च्हावणो-(क्रि०) चाहना। चौवीसो-दे० चोईसो।
च्हावना-(ना०) इच्छा । चाहना।
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