Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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चिड़ाणो ( ३७७ )
चितरणी चिड़ाणो-दे० चिड़ावणो।
चुनने का काम । चुनाई। चिड़ावणो-(क्रि०) १. नाराज करना। २. चिणायकाँ-(ना.) चाणक्य नीति का खिजाना। ३. उपहास करना।
लोक रूप जो वाणीकी पाठशालाओं में चिड़ियाटूक-(ना०) जोधपुर के किले की पढ़ाया जाता है । चाणक्य नीति ।
पहाड़ी का नाम । (किला बनने के पूर्व चिरणारी-दे० चिणाई। इस पहाड़ी पर चिड़ियानाथ नाम के चिणावणो-दे० चुणावणो । प्रसिद्ध योगी रहते थे। इसलिये पहाड़ी चिरणो-(न०) चना । चनक ।
का नाम यह प्रसिद्ध हुआ)।। चिरणोटियो-(न०) १. पुत्र जन्मोत्सव पर चिड़ी-(ना०) चिड़िया।
पुत्र की माता को प्रोढ़ाया जाने वाला चिड़ीमार-(न०) बहेलिया । पारधी।
एक विशेष प्रकार का मांगलिक ओढ़ना । चिड़ी मोथियो-(न0) एक प्रकार का घास ।
२. इस मांगलिक अवसर पर गाया जाने श्रीमुस्तक ।
वाला एक लोक गीत। चिडीलो-(वि०) १. क्रोधी। २. चिड़चिड़े चिपोटी-दे० चिरमी। स्वभाव वाला।
चित-(न०) १. अंत:करण । २. चित्त । चिड़ो-(न०) नर चिड़िया । चिड़कलो।
३. चेतन स्वरूप । (वि०) सीधा लेटा चिड़ोकणो-(वि०) चिड़चिड़े स्वभाव वाला।
__ हुआ। चिड़ीलो ।।
चितइलोळ-(न०) एक डिंगल-छंद । चिडोकली-(ना०) चिड़िया । (वि०) चितउर-(न0) चित्तौड़। चिढ़ने वाला।
चितकबरो-(वि०)रंग-बिरंगा । चितकबरा। चिडोकलो-(वि०) १. चिड़चिड़े स्वभाव चितचोज-(ना०) १. प्रसन्नता । खुशी। वाला। २. चिढ़ने वाला। (न०) नर
२. मौज। चिड़िया। चिड़ो।
चितचोजी-(वि०) १. प्रसन्न । खुश । २. चिड़ोतरसो-दे० चारोतरसो ।
मौजी । (ना०) प्रसन्नता ।। चिणक-(ना०) १. मोच । लचक । चनक।
चितचोर-(वि०) चित्त को चुराने वाला। २. अग्निकण । अंगारा । चिनगारी ।
मनभावना। चित्त को वश में करने चिरणग-दे० चिरणक।
वाला। चिणगट-(ना०) तमाचा । थप्पड़ । थाप।
चित-बिलंद-(वि०) विशाल हृदय । बुलंद चिणगारी-(ना०) चिनगारी । अग्निकरण ।
चित्त वाला । उदार । चिग । तळंगियो।।
चित भरमियो-(वि०) उन्माद रोग से चिणगियो-(न०) रुक रुक कर पिशाब
पीड़ित । मतिभ्रम । चित्तभ्रम । पागल । पाने का रोग। मूत्रकृच्छ । (वि०)
चितभंग-(वि०) १. निराश । २. खिन्न । थोड़ा। न्यून । चिणगो-(वि०) थोड़ा। कम । (स्त्री०
__ उदास । (न०) १. उन्माद । २. उचाट । चिणगी)।
चितमाठो-(वि०) कृपण । कंजूस । चिणणो-(क्रि०) चुनना।
चितरकोट-दे० चित्रकूट । चिणाई-(ना.) १. एक गोल और काला चितरगढ़-(न०) चित्तौड़गढ़ ।
विषेला जंतु। २. पैर के तलवे में इस चितरणो-(क्रि०) १. चित्रित करना । जंतु के स्पर्श से होने वाला व्रण । ३. २. चित्र बनाना। २. नक्काशी करना ।
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