Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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कायथण
( २२६ )
कारकूट कायथण-(ना०) १. कायस्थ जाति की कायो-(न०) लोहे का एक औजार जिसको
स्त्री। पंचोलण। २. लोक गीतों की गरम करके किसी बरतन आदि में रांगा एक नायिका।
से झालन लगाई जाती है। (वि०) १. कायथाणी-(ना०) १. लोक गीत । २.विवाह थका हुआ । क्लान्त । २. उकताया हुआ। के गीतों की एक नायिका। ३. कायस्थ
३. हैरान । तंग। जाति की स्त्री।
कायो करणो-(मुहा०) १. थकाना । हैरान कायदो-(न०)१. मान । मर्यादा। प्रतिष्ठा। करना । २. विवश करना ।
२. नियम । ३. दस्तूर । रिवाज। कायो हुणो-(मुहा०) १. थकना। २. हैरान ३. कानून । विधान । ५. उर्दू भाषा
होना । उकता जाना । ३. विवश होना । सीखने की पहली पुस्तक ।
मजबूर होना। कायब-(न०) कान्य । कविता।
कार-(न०) १. वश । अधिकार । २. लाभ । कायब-कूतो-(वि०) काव्य की परीक्षा
फायदा । ३. असर । प्रभाव । ४. उपाय । करने वाला। काव्यपरीक्षक । (न०)
(ना०) १. रेखा । लकीर । २. सीमा । काव्य की परीक्षा का काम ।
३. पाड़। ४. एक शब्द जो वर्णमाला
के किसी अक्षर के साथ लग कर उसका कायम-दे० काइम ।
स्वतंत्र बोध कराता है, जैसे-प्रकार से कायमो-दे० काइमो।
'अ' का। मकार से 'म' का इत्यादि । कायर-(वि०) १. बिना साहस वाला।
५. एक शब्द जो किसी शब्द के आगे बेहिम्मत । डरपोक । डरपण । २.
लग कर उसके करने वाले का बोध बुजदिल । कायरो-(प्रव्य०) १. किस बात का । २.
कराता है, जैसे-व्यंजनकार । स्वर्णकार क्या। (वि०) भूरी आँखों वाला।
इत्यादि । (वि०) करने वाला। बनाने
वाला। ६. मोटर। कायलाणो-(न०) १. शिकार का रक्षित .
कार आवरणो-(मुहा०) १. लाभप्रद होना । स्थान । २. जल-पक्षियों की शिकार का
उपयोगी होना । (दवा का) २. काम में स्थान । ३. जोधपुर के निकट एक बड़ा
पाना। तालाब जो एक समय राजाओं के जल-
जल कारक-(न०) संज्ञा व सर्वनाम का वह रूप पक्षियों की शिकार का स्थान था।
जिससे वाक्य में अन्य शब्दों के साथ कायली-(ना०) १. ग्लानि । खेद । २.
उसका संबंध प्रगट होता है। (व्या०) । लज्जा । ३. थकावट । ४. सुस्ती ।।
(वि०) १. करने वाला । कर्ता । २. उपकाहिली।
योगी। लाभदायक। काया-(ना०) शरीर । देह ।
कार करण-(मुहा०) १. फायदा करोना । कायाकळप-दे० कायाकल्प ।
२. फायदा होना । (औषधि से) ३. काम कायाकल्प-(10) शरीर का जवान हो। करना । धंधा व्यवसाय करना। ' जाना।
कार काढण-(मुहा०) १. संबंधो तोड़ना । कायाधाम-(न०) प्रात्मा ।
२. संबंध तोड़ने की प्रतिज्ञा करना। कायापूत-(न०) औरस पुत्र ।
३. लकीर खींचना। काया भाड़ो-(न०) पेट भराई । कारकूट-(न०) बेचान । विक्रय । बै। कायाराम-(न०) प्रारमा ।
(जमीन का)।
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