Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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गुळगुलो
गुरज
( ३२७ ) गुरज-(न०) एक शस्त्र । गदा । मुद्गर । उपाव । ८. परिश्रम के बाद प्राप्त सफगुर्ज।
लता का सरल उपाय । गुरजदार-(न०) गदाधारी । गुजबरदार। गुरुगम-(ना०) १. गुरु के द्वारा बतलाया गुरजबरदार-दे० गुरजदार ।
हुप्रा ज्ञान या मार्ग । २. गुरु द्वारा समझा गुरड़-(न०) गरुड़ । पक्षीराज । विष्णु का हुआ रहस्य । ३. गुरुज्ञान ।। वाहन ।
गुरुजन-(न०) माता, पिता, शिक्षक इत्यादि गुरडधजगामी-(न०) विष्णु ।
वडील वर्ग। गुरड़ो-(न०) १. भाँभी जाति का गुरु । गुरुद्वारो-(न०) १. गुरु का निवास स्थान ।
चमारों का पुरोहित । २. गुरु की अपमान २. वह सम्प्रदाय जिसमें गुरुदीक्षा ली हो। सूचक संज्ञा ।
३. सिक्खों का धर्म स्थान । गुर-सदातारा-(वि०) दान दातामों का गुरुभाई-(न०) एक ही गुरु के शिष्य होने गुरु । महादानी।
के नाते अन्य शिष्य की भाई संज्ञा । अपने गुरंड-(न0) अंग्रेज।
गुरु का दूसरा शिष्य । गुरुभाई। गुराणी-(ना०) १. गुरुपत्नी। गुरुग्रानी। गुरुमुखी-(ना०) पंजाब की एक लिपि एवं
२. पुरोहितानी । २. स्त्री शिक्षक। भाषा। शिक्षिका । ४. रसोई बनाने का धंधा गुरुवार-(न०) बुधवार के बाद का दिन । करने वाली ब्राह्मणी । बामणी । रसोई- वृहस्पतिवार । दारणी।
गुर्जर-(न०) १. गुजरात । २. गूजर जाति । गुराब-(ना०) एक प्रकार की तोप। (वि०) गुजरात का रहने वाला। गुराँ-(न०) १. देशी पाठशाला का शिक्षक। गुर्जरी-(ना०) १. गुजराती भाषा। २. ___ मारजा । २. जैन जती । जती। गुजरात की स्त्री । गुजरातिन । ३. गुराँसा-दे० गुराँ ।
ग्वालिन । रबारण । गूजरी। गुरु-(वि०) १. बड़ा । २. भारी। वजनी। गुल-(न०) १. फूल । २. चिलम का कोट । ३. श्रेष्ठ । (न०) १. प्राचार्य । शिक्षक। ३. चिलम में जली हुई तम्बाकू । ४. दिये २. किसी धर्म के मत्र का उपदेष्टा । की बत्ती का जल कर फूला हुआ सिरा। प्राचार्य । ३. देवताओं के गुरु वृहस्पति । ५. दीपक के बुझने या बुझाने का भाव । ४. एक नक्षत्र । ५. भाँभी जाति (चमारों) बुझाना। ६.दग्धोपचार । डाम । ७.पशुओं का गुरु । ६. सात वारों में से एक वार । के पुढे पर गरम शलाका से बनाया हुआ वृहस्पतिवार । ७. दो मात्राओं वाला चिह्न । दाग । दीर्घाक्षर।
गुळ-(न०) गुड़। गुरुकूची-(ना०) १. गुरु के द्वारा प्राप्त गुल करणो-(मुहा०) दीये को बुझाना । मार्ग । २. रहस्य । भेद । ३. किसी भी गुल क्यारी-(ना०) १. अनेक भांति के परिस्थिति में कारगर होने वाली युक्ति, पुष्प । २. पुष्पों की क्यारी । गुलक्यारी। साधन, उपाय आदि । ४. अनेक तालों गुळगचियो-(न०) १. छोटा गोल पत्थर । में लगने वाली चाबी । ५. वह दूसरी २. एक कँटीले पौधे का गोल बीज । चाबी जिसके लगाये बिना ताला नहीं गुलगुलो-(न०) मीठा पकोड़ा। गुड़ का खुलता। ६. गुप्त चाबी । ७. सरल बड़ा।
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