Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( १३० )
मोलाई
गोलाई - ( ना० ) गोलापन । नीचता । गोळाई - ( ना० ) गोलाई । घेरा । गोळियो - ( न०) १. काँसी की कटोरी । २. अंगुली में पहनी जाने वाली एक प्रकार की अंगूठी । ३. स्त्रियों के पाँव की अंगुली में पहिना जाने वाला एक छल्ला । गोळी - ( ना० ) १. वटिका । २. बच्चों के खेलने की कांच की गुलिका । ३. बंदूक में भर कर छोड़ने की शीशे की गुलिका । ३. दही बिलौने का मिट्टी का बड़ा पात्र । ४. पीतल या ताँबे का बड़ा घड़ा । ४. वृक्ष का सूखा हुआा मोटा तना । गोली - ( ना० ) १. गोले जाति की स्त्री । २. दासी । ३. गोले की स्त्री । गोळो - ( न०) १. गेंद के समान कोई गोल वस्तु । किसी वस्तु का गोलपिड । ३. नारेली (टोपाळी) रहित नारियल । वह नारियल जिसके ऊपर का कठोर छिलका (नारेली) दूर कर दिया गया हो । गरी का गोला । गोळो । गोटो । ४. लोहे का गोल पिंड जो तोप में डाल कर छोड़ा जाता है । ५. लालटेन में लगाया जाने वाला काच का एक उपकरण । लालटैन का गोला ।
६. पेट का एक रोग । गुल्म रोग । गोलो - ( न० ) १. गोला जाति का आदमी ।
गोला । २. वर्णसंकर । ३. दास । चाकर । गोवरियो - दे० गुणियो ।
गोवर्धन - ( न० ) १. ब्रज प्रदेश का एक पुराणप्रसिद्ध पर्वत । श्रीकृष्ण द्वारा अंगुली पर उठाया गया एक पर्वत । २. मंदिर के द्वार के श्रागे स्थापित किया जाने वाला कीर्तिस्तम्भ । ३. गोवंश की वृद्धि | ४. दीवाली पर घर के आगे बनाया जाने वाला गोबर का एक पर्वत-रूप जिसकी पूजा करती हैं । गोवर्धनधारी - ( न०) गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाने वाले श्रीकृष्ण ।
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गौरव
गोवाळ - दे० गुमाळ । गोवाळियो- दे० गुप्राळियो । गोविंद - ( न० ) १. श्रीकृष्ण । २. परब्रह्म । गोवो - दे० गोश्रो । ( न०) गोचर भूमि । गोश्त - ( न० ) मांस ।
गोष्ठी - ( ना० ) १. मंडली । २. बातचीत । ३. परामर्श ।
गोस- ( न० ) १. कान । २. गोश्त । गोसवारो - ( न० ) तथा व्योरा ।
१. श्राय-व्यय का लेखा गोशवारा । २. योग ।
जोड़ | गोसियळ - दे० गोसेल ।
गोसेल - (वि०) क्रोधी । गुस्सेल । गोसो - ( न० ) १. एकान्त । गोशा । २. कोना । गोशा । खुणो । ३. अंडकोश वृद्धि रोग । ४. अंडकोश । पोतवाळ । ५. कमान, छड़ी आदि की नोक ।
गोह - ( ना० ) छिपकली की जाति का एक
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बड़ा जहरीला जन्तु ।
गोहर - ( न०) १. गाँव के बाहर का वह
मैदान, जहाँ गाँव की गायें चरने जाने को इकट्ठी होती हैं । २. गोसमूह | गोहरी - ( न० ) गाँव की गायें जंगल में ले
जाकर चराने वाला । २. ग्वाला । गोहीरो - (न०) १. गोह के समान एक छोटा विषाक्त जंतु । विषखपरा । २. गोह । गोहू - (न०) गेहूँ ।
गौ - ( ना० ) १. गाय । २. पृथ्वी । ३. सरस्वती । गौतमसर- दे० गोमतसर ।
गौरजा - ( ना० ) पार्वती । गौरी । गवरजा । गौरव - ( न० ) १. गुरू होने का भाव । २.
बड़प्पन | बड़ाई । ३. सम्मान । श्रादर | ४. वृद्धि । बढ़ती । ५. वर श्रौर उसके संबंधियों का गौरव मान बढ़ाने के निमित्त कन्यापक्ष की ओर से दी जाने वाली एक विशेष ज्योनार ।