Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गोषळियो ( ३३६ )
गोरटियो गोधळियो-(न०) १. छोटा सांड़ । २. गोभू-(वि०) डरपोक ।
बेनसल का सांड़ । ३. छोटा बैल । गोम-(न०) १. पृथ्वी। २. प्राकाश । ३. गोधुळक-(ना०) संध्या समय । गोधूलि नगाड़ा । ४. गर्जन । (वि०) गुप्त ।
समय । (वि०) गोधूलि समय का (पाणि- गोमगह-(न०) १. प्राकाश । २. मेघगर्जन। ग्रहण)।
गोमतसर-(न०) मारवाड़ के इतिहास गोधुळक-लगन-(न०) १. गोधूलिक लग्न। प्रसिद्ध भीनमाल नगर का एक प्राचीन
२. गोधूलिक समय का विवाह । गोधूलिक नाम । गौतमसर । पाणिग्रहण।
गोमती-(ना०) १. द्वारका की सामुद्र नदी। गोधूळकिया फेरा- (न०) संध्याकालीन २. गंगा में मिलने वाली एक नदी।
मुहर्त में होने वाला पाणिग्रहण । गोमय-दे० गोबर । गोधुळकियो साहो-दे० गोधुळकिया फेरा। गोमख-(न०) १. गाय का मुह । २. एक गोधूलि-(ना०) गायों के चलने से उड़ने प्राचीन तीर्थ ।। वाली धूलि । २. गायों के जंगल में से गोमखी-(ना०) १. माला जपने की गाय के
वापिस लौटने का समय । संध्या समय । मुख के आकार की कपड़े की कोथली । २. गोधो-(न०)१. सांड़ । २. खस्सी नहीं किया गंगोत्री तीर्थ । गंगोतरी । हुमा बैल ।
गोमूत-(न०) गोमूत्र । गोप-(न०) १. गले का एक प्राभूषण । २.
गोय-(क्रि०वि०) छिपा करके । . व्रज की एक अहीर जाति । ३. ग्वाला। गोयणी-दे० गोरणी।
४. गौ। गाय । गोपकाव्य-(न०) ग्राम्य-जीवन वर्णन करने गायरा-(न०)१. गाँव के निकट का भाग । वाला काव्य ।
गूदरो। २. गोह। गोपाळ-(न०) १. श्री कृष्ण । २. ग्वाला। गोरखधधा-(न०) १. गोरखपथा साधुआ गोपी-(ना०) १. गोप पत्नी। ग्वालिन ।
का बहुत कड़ियों वाला एक डंडा । २. २. वृन्दावन की श्रीकृष्ण भक्त गोप-स्त्री।
गोरख पंथियों का एक यंत्र । ३. अनेक गोपीचंदण-(न०) तिलक करने की एक
कड़ियों वाली एक अंगूठी । ४. एक ही सफेद व पीली मिट्टी । गोपीचंदन ।
काम की निरर्थक पुनरावृत्ति । ५. गोपीवर-(ना०) श्रीकृष्ण ।
निकम्मा धंधा । खोटो धंधो। ६. बहुत गोफण-(न0) पत्थर या ढेला फेंकने का।
झंझट वाला काम । ७. उलझन । जोता (योत्र) के जैसा एक साधन ।
झंझट । गोफन । फिन्नी । ढलवांस।
गोरखनाथ-(10) एक प्रसिद्ध संन्यासी गोफणियो-(न०) १. गोफन से फेंका जाने महात्मा गोरखनाथ ।
वाला ढेला या पत्थर । २. गोफन । गोरखपंथ-(न०) गोरखनाथ द्वारा चलाया ढेलवास।
हुआ पंथ । गोबर-(न०) गाय या भैस का मल। गोरखपंथी-(वि०) गीरखपंथ के अनुयायी। गो-भरतार-(न०) १. पृथ्वीपति । २. गोरज-(ना.) गायों के चलने से उड़नेवाली
इन्द्रियों का अधिपति । ३. श्रीकृष्ण । रज । गोभी-(ना०) शाक में प्रयोग आने वाला गोरटियो-(वि०) गोरे रंग वाला। गौर
एक फूल या पत्तों की एक गांठ । कोबी। वर्ण ।
For Private and Personal Use Only