Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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गैलापको ( ३३३ )
गोचरी गैलापणो-(न०) पागलपन ।
गोकुळीनाथ-(न०) १. जालोर के इतिहास गैली-(वि०) पगली।
प्रसिद्ध शासक वीर कान्हड़दे सोनगरा का गैलो-(न0)१. मार्ग। रास्ता। २. परम्परा। एक विरुद । २. श्रीकृष्ण । सिलसिला । (वि०) १. पागल । गहलो। गोख-(न०) १. गवाक्ष । झरोखा । शरूखो। २. नासमझ।
२. कान का बाहरी पर्दा व भाग । ३. गैवर-(न०) १. हाथी। २. श्रेष्ठ हाथी। आँख और कान के पानू बाजू का भाग । गजवर ।
४ कर्ण विवर । ५. कनपटी। कनपडो । गैंडो-(न०) मैंसे की तरह का एक जंगली गोखड़ो-(न०) १. गवाक्ष । वातायन । जानवर।
झरोखा। २. एक प्रकार का ताक जो गो-(ना०) १. गाय । गौ । २. इन्द्रिय। साल के प्रवेश द्वार (की दोनों ओर
दीवाल के प्रासारों) में बना हा होता ३. वाणी । ४. पृथ्वी । ५. आकाश। गोपाळ-(न०) ग्वाल। गोग्राळियो-दे० गोपाळ ।।
गोखरू-(न0) १. एक बनस्पति और उसका
बीज । २. स्त्रियों के हाथ में पहिनने का गोउड़ो-(वि०) गाय का (चमड़ा)। गोउड़ो साज-(न०) गाय का चमड़ा ।
एक गहना। ३. पुरुषों के कान में पहिनने गोचर्म ।
का एक गहना। ४. जरतार । (कोरगोटा)
का एक प्रकार का फीता। गोग्रो-(न०) शीतकाल में मस्ती में प्राये गोखो-(10) १. गवाक्ष । गोखडो। २. हुए ऊंट की गलसुई के समान फूल कर ।
डिंगल का एक छंद। मुंह से बाहर निकली हुई जीभ ।
गोगादे-(न०) १. एक लोक देवता । २. गो-करण गहण-(न०) पृथ्वी को उत्पन्न
गोगादे चौहान । ३. राठौड़ राव वीरम व धारण करने वाला परमेश्वर।
का पुत्र । गो-कर्ण-(न०) १. टोडा (राजस्थान) के गोगानम-(ना०) भादौं सुदी नौम । सर्प पास बनास नदी के तट पर आया हुआ पूजा का दिन । नाग-नवमी । शिव का एक प्रसिद्ध तीर्थ । २. दक्षिण गोगीडो-दे० जूजळो । में आया हुआ एक प्रसिद्ध शिव-तीर्थ । गोगो-(10) १. एक लोक गीत । २. एक ३. गाय का कान । ४. खच्चर । ५. सर्प ।
लोक देवता । ३. गोगादे चौहान । गोकळ-(न0) गोकुल । गोकुळ ।
४. गोगादे राठौड़। गोकळ-पाठम-दे० कानजी-पाठम।
गोध-(न०) फेन । झाग । गोकळिया गुसाँई-(न०) वल्लभ सम्प्रदाय
गोघी-दे० गूधी। के गुसांईजी।
गोघोख-(न०) गौशाला । गोकुळ-(न०) १. ब्रज में मथुरा के पास गोचर-(न०) १. चरागाह । (वि०) इन्द्रिय
का एक गांव, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बाल्यकाल बिताया था। नंद, यशोदा गोचरी-(ना०) १. भिक्षा। २. भिक्षाऔर श्रीकृष्ण की निवास भूमि २. गौनों वृति । (जने साधूओं की)। ३. अपने ही का समूह । ३. गो, वृषभ आदि ।
घर में की जाने वाली चोरी। ४. चोरी गोकुळनाथ-(न०) श्रीकृष्ण ।
से घर वालों से छिपाकर इकट्ठा किया गोकुळवाळ-(न०) गोकुलवाला । श्रीकृष्ण ।
हुमा धन।
गम्य ।
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