Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( ३३१ )
गैगहण गूदी-(ना०) एक वृक्ष जिसके फल लगभग टुकड़ा ।
चने जितने बड़े, मीठे और लसदार होते गेढी-डोरो-(न०) स्त्रियों के सिर के बोर हैं । गोंदी। छोटे लिसोड़ा वाला वृक्ष। (रखड़ी) के साथ लगने वाली सोने की छोटा लसोड़ा । लभेरा।
जड़ाऊ गावदुम नली और उसके साथ गूदो-(न०) १. बड़े लसोड़ों का वृक्ष । २. लगाई जाने वाली इधर-उधर दो सोने बड़ा लसोड़ा फल । गूदो।
की पतली संकले । (जंजीरें)। गूबड़ो-(न०) दे० गूमड़ो।
गेम-(न०) १. देशद्रोह । २. पाप । दुष्कर्म । गृह-(न०) घर । मकान।
३. शत्रुता। गृहस्थ-(न०) १. ब्रह्मचर्य के बाद विवाह गेमार-(वि०) १. गँवार । असभ्य ।
करके घर में रहने वाला पुरुष । २. घर. २. मूर्ख । संसार । ३. गृहराज्य । ४. उच्च कुलो- गेमी-(वि०) १. देशद्रोही । २. पापी ।
त्पन्न पुरुष । ५. कुटुब । परिवार । दुष्कर्मी। गृहस्थाश्रम-(य०) भारतीय जीवन के चार गेरणियो-(न०) बड़ी चलनी । चालना ।
प्राश्रमों में से दूसरा आश्रम । ब्रह्मचर्य गेरणी-(ना०) चलनी । चालनी । के बाद का आश्रम ।
गेरणो-(न०) बड़ी चलनी । चालना । गृहस्थी-(ना०) १. घर की व्यवस्था । २. (क्रि०) गिराना । डालना । पटकना ।
गृहस्थ का काम काज । ३. कुटुम्ब । गेरू-(न०) एक लाल मिट्टी। परिवार ।
गेह-(न०) घर । गृह ।। गृहिणी-(ना०) १. गृहस्थ की स्त्री। २. गेहणी-(ना०) १. गृहिणी । २. पत्नी। __ गृहस्वामिनी । घर मालकिन । ३. पत्नी। गेहर-(ना०) १. होलिका उत्सव का एक गेघरो-(न०) १. कच्चा व हरा चना । कोष लोक नृत्य । डंडिया गेहर । वासंतिक सहित हरा चना । २. चने का पौधा। रास क्रीड़ा । २. चंग के साथ गाने-बजाने
३. चने की फसल । ४. ज्वार की बाल। और नाचने का एक वासंतिक उत्सव । गेडियो-(न०) १. मुड़े हुए हत्थेवाला मोटा ३. डोलचियाँ द्वारा एक दूसरे पर पानी __ डंडा । २. छड़ी।
डाल कर खेलने की एक वासंतिक जलगेडी-(ना०) १. छड़ी। २. लाठी । ३. मुड़े क्रीड़ा । हुए हत्थे वाली छड़ी।
गेहरियो-(न०) गेहर खेलने वाला । गेहर गेड़ो-(न०) १. बैलगाड़ी आदि वाहन द्वारा में नाचने वाला व्यक्ति ।
माल ले जाने-लाने का चक्कर । २. गेहूं-(न०) एक प्रसिद्ध अनाज । गहूं । चक्कर । फेरा। परिभ्रमण । ३. माल गोधूम । गंदुम। या सामान को इधर से उधर ले जाने गेंती-(ना०) कुदाली । कोदाळी । की क्रिया।
गेंद-(ना०) दड़ी। गेंद। गेढी-(ना०) १. स्त्रियों के सिर में बोर गै-(न०) १. हाथी। गज । २. आकाश ।
(रखड़ी) की जड़ाऊ नली। एक सिरो- (ना०) गति । चाल। भूषण । २. सूत, ऊन आदि की गेंडुरी। गैगमणी-दे० गयगमणी । ३. बैलगाड़ी के पहिये की धुरी में लगाया गैगहण-(वि०) १. अपने बाहुबल से जाने वाला सुराख वाला चमड़े का गोल आकाश को थामने वाला । अत्यन्त
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